राज्य में बिल्ली प्रजाति के मुख्य वन्यजीव बघेरों की संख्या का पता लगाने के लिए प्रादेशिक वनों में भी इनकी वैज्ञानिक पद्धति से गणना का प्रथम चरण शुरू हो गया है।
बूंदी. गुढ़ानाथावतान. राज्य में बिल्ली प्रजाति के मुख्य वन्यजीव बघेरों की संख्या का पता लगाने के लिए प्रादेशिक वनों में भी इनकी वैज्ञानिक पद्धति से गणना का प्रथम चरण शुरू हो गया है।
सोमवार से शुरू हुए गणना के पहले दिन सभी वन कर्मियों को नियुक्त कर जंगल की पगडंडियों पर प्रतिदिन 5 किलोमीटर ट्रेकिंग करने व वन्यजीवों की गतिविधियों का डाटा एकत्रित करने का काम किया जा रहा है।
सर्वे पूरा ऑनलाइन एप पर होगा, ताकि किसी भी तरह की गलती या लापरवाही नहीं हो सके। अब तक टाइगर रिजर्व व वन्यजीव अभयारण्यों में ही बाघ-बघेरों सहित अन्य वन्यजीवों की विभिन्न वैज्ञानिक तकनीक से गणना होती थी, लेकिन अब राज्य सरकार ने संरक्षित वनों के बाहर के जंगलों में भी यह कार्य शुरू कर दिया है। यह सर्वे इस माह के अंत तक पूरा होगा तथा इसमें बाघ-बघेरों सहित सभी वन्यजीवों की उपस्थिति दर्ज की जाकर रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
मार्च तक सर्वे की रिपोर्ट आएगी
विभागीय अधिकारियों के अनुसार सर्वे का परिणाम अगले साल मार्च-2026 तक मिलने की संभावना है। गौरतलब है कि जिले सहित राज्य के जंगलों में पैंथर की आबादी लगातार बढ़ रही है, लेकिन संरक्षित वनों के बाहर सर्वे नहीं होने से इनकी वास्तविक संख्या का पता नहीं चल पा रहा है। ऐसे में इस बार पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन तरीके से होगी।
फिर ट्रांजेक्ट लाइन व फोटो ट्रेप गणना होगी
पैंथर सहित अन्य वन्यजीवों की गणना के प्रथम चरण में प्राप्त आंकड़ों के आधार पर वन विभाग उन स्थानों को चिह्नित करेगा। जहां बघेरों की मौजूदगी दर्ज की गई है। दूसरे चरण में ट्रांजेक्ट लाइन आधार पर बघेरों के साथ शाकाहारी व मांसाहारी वन्यजीवों की गिनती होगी। गणना में प्रशिक्षित वन कर्मियों को लगाकर वैज्ञानिक आधार पर डाटा जुटाया जाएगा। तीसरे चरण में फोटो ट्रेप कैमरे लगाकर बघेरों व अन्य वन्यजीवों की वास्तविक संख्या का पता लगाया जाएगा।
इनका कहना है
जिले में पैंथर सहित अन्य वन्यजीवों का ऑनलाइन साइन सर्वे किया जा रहा है। जिससे टेरिटोरियल वनों में वन्यजीवों की मौजूदगी का डाटा प्राप्त होगा। बाद में अन्य वैज्ञानिक तरीकों से भी सर्वे किया जाएगा।
देवेंद्र सिंह गुर्जर, सहायक वन संरक्षक, बूंदी