रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के बफर जोन के जंगलों में भी बाघों की दहाड़ गूंजने लगी है। तीन माह पहले रामगढ़ के शॉफ्ट एनक्लोजर से आजाद होने के बाद युवा बाघिन आरवीटी-8 ने रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र से बाहर निकलकर जैव विविधता से समृद्ध एवं बियाबान कालदां के जंगलों को अपना नया ठिकाना बना लिया है। बाघिन ने करीब एक माह से कालदां के आसपास के जंगलों में अपना आशियाना बना रखा था।
बूंदी. गुढ़ानाथावतान. रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के बफर जोन के जंगलों में भी बाघों की दहाड़ गूंजने लगी है। तीन माह पहले रामगढ़ के शॉफ्ट एनक्लोजर से आजाद होने के बाद युवा बाघिन आरवीटी-8 ने रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र से बाहर निकलकर जैव विविधता से समृद्ध एवं बियाबान कालदां के जंगलों को अपना नया ठिकाना बना लिया है। बाघिन ने करीब एक माह से कालदां के आसपास के जंगलों में अपना आशियाना बना रखा था। इस सप्ताह बाघिन आगे बढक़र दुर्वासा ऋषि आश्रम, देवझर महादेव, ङ्क्षसधकेश्वर महादेव, पारा का नाला, टोला का खाळ, खंजूरी माता का नाला आदि सघन जंगलों में पहुंच गई है तथा लगातार मूवमेंट कर रही है। बाघिन के कालदां इलाके के जंगल में पहुंचने पर वन विभाग ने उस इलाके में निगरानी बढ़ा दी है तथा आसपास के इलाके में मुनादी करवाकर लोगों को जंगल में नहीं जाने की अपील की है।
पैदल व बाइक से जाने पर पाबंदी
बाघिन के लगातार मूवमेंट बना रहने से वन विभाग ने जंगल में पैदल व मोटरसाइकिल से अंदर जाने पर पाबंदी लगा दी है। कालदां में रात्रि के दौरान रुकने व मवेशियों के प्रवेश पर भी रोक लगाकर वन विभाग ने जंगल में जाने वाले रास्तों पर गश्त बढ़ा दी है। बाघिन के बार-बार कालदां के जंगल में जाने से उम्मीद जताई जा रही है कि यह कालदां के जंगलों में अपनी टेरेटरी बना सकती है।
तीन सौ बीघा से बबूल हटाए
टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों से समृद्ध एव जैव विविधता के लिहाज से वन विभाग ने कालदां माताजी के निकट 300 बीघा वन भूमि पर विलायती बबूल हटाकर सिल्वी पॉश्चर पद्धति से घास के मैदान व प्लांटेशन का काम हाथ में लिया था। दो साल बाद घास के मैदानों में घास तैयार हो गई है तथा शाकाहारी वन्यजीवों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। शीघ्र ही यहां नए ट्रेङ्क्षकग रूट बनाने व अन्य इलाकों में नए ग्रासलैंड विकसित करने की योजना है। वन विभाग की नियमित गश्त से यह इलाका बाघों के स्वागत के लिए तैयार होने लगा है।
380 वर्ग किलोमीटर में फैला बियाबन का जंगल
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के देवझर महादेव से भीमलत तक के बफर जोन में परम्परागत जलस्रोतों पर 12 माह पानी की उपलब्धता मूक प्रणियों के जीवन का आधार बने हुए हैं। करीब 380 वर्ग किलोमीटर के इन दुर्गम पहाड़ी जंगलों में डेढ़ दर्जन से अधिक स्थानों पर भीषण गर्मी में भी कल-कल पानी बहता रहता है। ऐसे में यहां वन्यजीवों की बहुलता है। यहीं नहीं जल पलब्धता के कारण जिले में भालू, पेंथर सहित अन्य वन्यजीवों का कुनबा बढ़ा है। उक्त क्षेत्र में इन्हें विचरण करते हुए आसानी से देखा जा सकता है।
इनका कहना है
बाघिन टाइगर रिजर्व के कालदां बफर जोन में विचरण कर रही है, जिसकी 24 घंटे ट्रेङ्क्षकग की जा रही है। यह जंगल बाघों के लिए अनुकूल है, जिसे विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं।
देवेंद्र सिंह भाटी, उपवन संरक्षक एवं उपक्षेत्र निदेशक, रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व, बूंदी