छोटी काशी के नाम से विख्यात बूंदी प्रेम, बलिदान, शौर्य व त्याग की कहानियां समेटे हुए ऐतिहासिक स्मारकों, सांस्कृतिक समृद्धि और पुरातत्व के वैभव से सरोबार सिटी ऑफ स्टेपवेल्स के नाम से विश्व विख्यात फिर भी पर्यटन की ऊंचाइयों को नहीं छू पा रही।
बूंदी. छोटी काशी के नाम से विख्यात बूंदी प्रेम, बलिदान, शौर्य व त्याग की कहानियां समेटे हुए ऐतिहासिक स्मारकों, सांस्कृतिक समृद्धि और पुरातत्व के वैभव से सरोबार सिटी ऑफ स्टेपवेल्स के नाम से विश्व विख्यात फिर भी पर्यटन की ऊंचाइयों को नहीं छू पा रही।
शहर में पर्यटक बढे इसके लिए बूंदी महोत्सव, विश्व पर्यटन दिवस, बूंदी स्थापना दिवस सहित कई महोत्सव मनाए जाते है, लेकिन पर्यटकों को लाने के लिए आज तक कोई योजना नही बनी नतीजन पिछले पांच सालों में पर्यटक नहीं बढ़ पाए। सबसे अधिक पर्यटक गढ़ पैलेस व चित्रशाला देखने आते है। चित्रशाला में चित्रों का रंग फीका पडता जा रहा है, कई चित्र सीलन से खराब हो चुके है। बजट जारी होने के बाद भी विभाग चित्रशाला में रिनोवेशन का कार्य शुरू नही कर पाया, जिससे चित्रशाला के चित्रों की रंगत खत्म होती जा रही है।
पर्यटन स्थलों के बाहर कचरा पॉइंट
शहर के चौगान गेट , नागर सागर कुंड, रानीजी की बावडी, धाभाई कुंड, नवलसागर झील, चम्पाबाग गेट ओर बूंदी बाइपास रोड पर हमेशा कचरा रहता है जिससे पर्यटक असहज रहते है।
गंदगी सबसे बड़ी समस्या
शहर में पर्यटन स्थलों के बाहर कचरा पॉइंट बना दिए हर समय गन्दगी रहती है। पर्यटक इन स्थलों पर आते है गन्दगी के फोटो लेकर सोशल मीडिया पर डालते है, जिससे बूंदी की छवि पर असर पड़ रहा है। गन्दगी की वजह से कई टूर कम्पनियों ने ग्रुप लाना बंद कर दिया। शहर साफ रहे इसके लिए योजना बनानी पड़ेगी, जिससे पर्यटकों में अच्छा सन्देश जाए।
योजना नहीं बनी
2006 से बूंदी साफ सुथरी थी तो लगातार पर्यटक बढऩे लगे और ये सिलसिला 2016 तक चलता रहा। 2011 में सबसे अधिक 17148 पर्यटक आए थे। 2019 से ही कोरोना काल से पर्यटकों की संख्या में कमी आने लगी और 2021 में केवल 52 पर्यटक आए। कोरोना के बाद पर्यटकों को लाने के लिए कोई योजना नहीं बनी, जिससे पर्यटकों की संख्या में इजाफा नहीं हुआ। 2025 में नवम्बर तक 8239 पर्यटक ही आए।