जलसंसाधन विभाग की करोड़ों की जमीन, भवन, कार्यालय खंडहरों में बदलते जा रहे हैं।
केशवरायपाटन. जलसंसाधन विभाग की करोड़ों की जमीन, भवन, कार्यालय खंडहरों में बदलते जा रहे हैं। रखरखाव व देखरेख के अभाव में उपखंड मुख्यालय पर एक दर्जन भवनों में मिट्टी जमा हो गई व खरपतवार उग गई है। राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त बजट नहीं मिलने से अधूरे पड़े भवन जर्जर हो रहे है। कार्यालय परिसर में खरपतवार उग गई है। बजट के अभाव में कार्यालयों की मरम्मत तक समय पर नहीं हो रही है।
कभी थी आबाद कॉलोनियों
सिंचित विभाग के नाम से प्रसिद्ध सीएडी धीरे धीरे अपनी दुर्दशा की कहानी कह रही है। इन कालोनियों में विभाग के मेट, पटवारी, बेलदार, अधिकारियों के आवासों में परिवार सहित रहा करते थे। इस विभाग में सैकड़ों कर्मचारी कार्यरत थे। अब उनके आवासों में विभाग के लोगों ने ही कब्जा कर लिया। एक सेवानिवृत्त कर्मचारी ने तो सीएडी कॉलोनी परिसर में विभाग की भूमि पर कब्जा कर खेती करना शुरू कर दिया। अतिक्रमणकारियों ने भी विभाग की भूमि पर कब्जे करने शुरू कर दिए हैं।
खुल गए सरकारी कार्यालय
अनुपयुक्त हो चुकी विभाग की जमीन को संभागीय आयुक्त ने अन्य सरकारी कार्यालय एवं अधिकारियों के आवासों के लिए आवंटन करना शुरू कर दिया है। सीएडी परिसर में उपखंड अधिकारी, न्यायालय, तहसीलदार, कोषागार कार्यालय खोले जा चुके हैं, जिन विभागों के पास भवन व भूमि नहीं है, वह जल संसाधन विभाग की जमीन आवंटित करवा रहे हैं। राज्य सरकार ने बेकार पड़ी विभाग की जमीन ईआरसीपी को विभाग की जमीन सौंप दी है।
बजट का अभाव
विभाग के पास बजट का अभाव होने से पुराने भवनों की मरम्मत नहीं हो पाई है। राज्य सरकार ने विभाग की अधिकांश भूमि को ईआरसीपी को आवंटित कर दिया है। पहले भवनों में कर्मचारी रहते थे। स्टाफ कम हो गया। कुछ आवासों को सेवानिवृत्त कर्मचारियों को ही किराए पर दे रखा है, जो प्रति माह किराया जमा करवाते हैं।
देवेन्द्र अग्निहोत्री, अधिशासी अभियंता, जल संसाधन विभाग, खंड केशवरायपाटन