Silent Wealth Killers: अक्सर लोगों की यह प्रॉब्लम रहती है कि वे कमाते तो बहुत हैं, लेकिन बचत नहीं कर पाते। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि वे कई सारी गलतियां कर रहे होते हैं।
कभी सोचा है कि हम में से ज्यादातर लोग अच्छी सैलरी होने के बावजूद क्यों महीने के अंत में पैसे से तंगहाल हो जाते हैं। ये सबकुछ पैसे को लेकर हमारी साइकोलॉजी की वजह से होता है। हम हमारी सैलरी को पहले खर्च करने के बारे में सोचते हैं, न कि निवेश करने के बारे में। कई बार हम समाज के दबाव में आकर खर्च करते हैं, तो कई बार अनचाही चीजों पर। हम में से कुछ लोगों को जबतक ये अक्ल आती है कि भविष्य के लिए कुछ निवेश भी करना चाहिए, तबतक काफी वक्त गुजर चुका होता है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखे गए एक पोस्ट में चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन कौशिक ऐसी ही 9 वित्तीय गलतियों के बारे में बताते हैं, जो लोग आमतौर पर करते हैं। ये गलतियां करते समय लोगों को इसका आभास नहीं होता कि वो उनके लिए कितनी ज्यादा घातक हो सकती हैं।
होल लाइफ या एंडोमेंट प्लान "सुरक्षा + रिटर्न" जैसे सुकून देने वाले लगते हैं, लेकिन ये दोनों ही अच्छे नहीं होते हैं। एक साधारण टर्म प्लान आपके परिवार की पूरी सुरक्षा करता है। म्यूचुअल फंड आपकी संपत्ति बढ़ाते हैं। शुद्ध टर्म इंश्योरेंस और म्यूचुअल फंड सुरक्षा और ग्रोथ के मामले में अक्सर इनसे अच्छा परफॉर्म करते हैं।
किसी भी निवेश सलाहकार से पूछिए, कि आपको सबसे पहले अपने परिवार की सुरक्षा के लिए क्या करना चाहिए, तो जवाब मिलेगा टर्म प्लान। टर्म प्लान का फायदा ये होता है कि ये सस्ते में एक काफी बड़ा कवरेज देता है। किसी परिवार के ऊपर अचानक आई विपत्ति में टर्म इंश्योरेंस सबसे कारगर सहारा होता है। याद रहे, टर्म इंश्योरेंस से आपको रिटर्न में कुछ नहीं मिलता, क्योंकि ये सिर्फ डेथ बेनेफिट से जुड़ा है।
उस समय तो यह आपको दयालुता का एहसास कराता है। लेकिन अगर वे भुगतान करने से चूक जाते हैं, तो उनके क्रेडिट स्कोर पर असर पड़ता है। पैसे के मामले में उदारता कभी भी कानूनी हस्ताक्षर के साथ नहीं आनी चाहिए।
ये आपकी संपत्ति के लिए सायलेंट किलर है। 50,000 रुपये का बकाया 36% ब्याज दर पर केवल दो साल में ही 1 लाख रुपये से ज्यादा हो सकता है। यह क्रेडिट कार्ड नहीं है, यह एक टाइम बम है।
वैसे भी हमने देखा है कि जो लोग लोन और क्रेडिट कार्ड के भरोसे रहते हैं, वो कैसे ऊंची ब्याज दरों और तमाम तरह के चार्ज की वजह से आगे चलकर एक कर्ज के जाल में फंस जाते हैं। इसके बाद उनके लिए इससे बाहर निकलना मुश्किल होता है। भविष्य में CIBIL स्कोर खराब होने की वजह से उन्हें लोन मिलने में भी दिक्कतें आती हैं। इसलिए जहां तक संभव हो सके, क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल से बचें। अगर करते भी हैं, तो इसके ब्याज और चार्जेस के बारे में जागरुक रहें। समय पर और पूरा भुगतान करें।
क्या आप वहां पैसा लगाते है, जिसकी आपको समझ ही नहीं? क्रिप्टो, NFT या कोई 'गारंटीड' स्कीम जिस पर आपका दोस्त भरोसा करता हो। अगर आप एक वाक्य में यह नहीं समझा सकते कि इससे पैसा कैसे बनता है- तो आप निवेश नहीं कर रहे, बल्कि अनुमान लगा रहे हैं। नितिन कौशिक की बातों का सार ये है कि लोग अक्सर दूसरों के कहने पर या फिर 'कुछ मिस तो नहीं कर रहा' की भावनाओं की चपेट में आने की वजह से ऐसी स्कीम्स में अपना पैसा फंसा लेते हैं, जिसका पछतावा उन्हें जिंदगी भर रहता है।
2 लाख रुपये की तनख्वाह और 2 लाख रुपये के खर्च = 0 रुपये मानसिक शांति। आप ज्यादा कमाकर अमीर नहीं बनते। आप ज्यादा पैसा रखकर अमीर बनते हैं। बात वही है कि सैलरी मोटी है, तो सेविंग्स भी उसी हिसाब से होनी चाहिए, वरना मोटी सैलरी को खत्म होते वक्त नहीं लगता। लाइफस्टाइल कोई बुरी चीज नहीं, लेकिन वो निवेश के बाद आनी चाहिए। दिखावे और समाज में प्रतिष्ठा के चक्कर में आप अपनी सारी कमाई खर्च कर दें, यह समझदारी नहीं है। क्योंकि जब आप पर कोई वित्तीय दिक्कत आएगी, तो समाज आपके साथ खड़ा होगा या नहीं, ये कोई नहीं बता सकता है। इसलिए महंगी कार, महंगी घड़ी पर खर्च करने की बजाय आप सिर्फ जरूरत के हिसाब से चीजें खरीदें और भविष्य के लिए निवेश करें।
पहले महीने तो यह बहुत अच्छा लगता है और अगली 60 EMI तक काफी तकलीफ देने वाला होता है। शोरूम से निकलते ही कार की कीमत लगभग 20% कम हो जाती है। जब आप उसे आराम से खरीद सकें, तब खरीदें, भावुक होकर नहीं।
कार खरीदना एक बड़ा खर्चा है, जब परिवार बढ़ता है, तो कार खरीदने में वैसे भी कोई हर्ज नहीं है। कोशिश ये होनी चाहिए कि कार खरीदने की प्लानिंग बहुत पहले से ही शुरू करें। उसके लिए पैसे इकट्ठा कर लें, एक बजट तय कर लें और उसी बजट के दायरे में रहकर आप कार खरीद सकते हैं। कार एक डेप्रिशिएटिंग एसेट है, यानी उसकी कीमत हर रोज कम होगी, गाड़ी में तेल का खर्च, मेंटेनेंस का खर्च भी होता है, इसलिए ये सभी कुछ आपको कार खरीदने से पहले सोचना होगा।
डायवर्सिफिकेश सिर्फ आकर्षक शब्दजाल नहीं है, ये जिंदगी बचाने वाला है। अपने निवेश को अलग अलग बास्केट में रखें- स्टॉक, डेट, रियल एस्टेट, गोल्ड। एक अच्छा पोर्टफोलियो तब भी बढ़ता है, जब उसका एक हिस्सा गिर जाता है। संपत्ति संतुलन से चुपचाप बढ़ती है, जोश या उत्तेजना से नहीं।
हर कोई अपने घर का सपना देखता है और यह ठीक भी है। लेकिन अगर आपकी EMI आपकी सैलरी की 40-50% है, तो वह घर आपका मालिक है। इसे 25% से कम रखें। ध्यान रखें, आजादी एक वर्ग फुट से ज़्यादा कीमती है। देखिए घर लेने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन ये एक लंबी अवधि का खर्च है, जिसमें हर महीने आपकी सैलरी का एक हिस्सा EMI के तौर पर जाता है। इसलिए जब भी आप घर लेने की सोचें, तो कोशिश करें कि EMI आपके निवेश के हिस्से पर असर न डाले। हो सके तो पहले डाउन पेमेंट के लिए बड़ी रकम इकट्ठा कर लें, फिर होम लोन लें, ताकि EMI का बोझ कम रहे। महीने के 4-5 हजार की बचत भी लंबी अवधि में काफी मूल्यवान साबित होती है।
तुरंत मदद का वादा करते हैं, लेकिन 40-50% सालाना ब्याज लेते हैं। यह अपने भविष्य से उधार लेने जैसा है… भारी प्रीमियम पर। अगर आपको इसकी जरूरत है, तो रुकें और अपना बजट फिर से बनाएं। लोन इसका हल नहीं है- अनुशासन है।
अगर आप भी अपनी जिंदगी में ये 9 गलतियां कर रहे हैं या इनमें से कोई भी गलती कर रहे हैं, तो आपको बैठकर सोचने की जरूरत है। अपने निवेश को एक नई दिशा देने की जरूरत है। फिजूलखर्ची और जरूरत के बीच अंतर समझना होगा। सोच समझकर एक लक्ष्य के साथ किया गया नियमित निवेश आपके लिए एक बेहतर भविष्य का निर्माण करता है। जबकि बिना सोचे समझे किया गया निवेश और खर्च दोनों ही आपके भविष्य के लिए जोखिम पैदा करते हैं।