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अकाउंट में रुपये होने पर भी SBI ने बाउंस कर दी थी EMI, अब बैंक ग्राहक को चुकाएगा 1.7 लाख रुपये

EMI Bounce Charge: एसबीआई ने अकाउंट में पैसा होने के बावजूद ग्राहक की ईएमआई को बाउंस कर दिया। अब उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने बैंक को निर्देश दिया है कि वह ग्राहक को 1.7 लाख रुपये भुगतान करे।

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EMI Bounce Charge

खाते में पैसा होने पर भी एसबीआई ने बाउंस कर दी ईएमआई। (PC: Pixabay)

ग्राहक के पास पर्याप्त बैलेंस नहीं होने की वजह से लगाया गया चार्ज बैंक पर खुद ही भारी पड़ गया। मामला स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) का है। दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने भारतीय स्टेट बैंक को एक कंज्यूमर को 1.7 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है। क्योंकि बैंक ने अकाउंट में पर्याप्त पैसा होने के बावजूद गलत तरीके से ECS (इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सर्विस) बाउंस शुल्क लगाया था।

क्या है मामला?

शिकायतकर्ता श्रीमती शर्मा ने HDFC बैंक से कार लोन लिया था और बैंक को निर्देश दिया था कि वह SBI में उनके बचत खाते से EMI काट ले। लेकिन उनकी 11 EMI बाउंस हो गईं और SBI ने 400 रुपये के हिसाब से 4,400 रुपये चार्ज काट लिया। जब इसका पता श्रीमती शर्मा को चला तो उन्हें यकीन ही नहीं हुआ, क्योंकि उन्होंने हमेशा अपने बैंक खाते में पर्याप्त राशि रखी थी। अपनी बात को साबित करने के लिए उन्होंने अपना बैंक स्टेटमेंट प्रिंट किया और बैंक को जमा कर दिया और काटे गए पैसे रिफंड करने की मांग की, लेकिन SBI ने उनकी बात नहीं मानी और बाउंस फीस को वापस करने से इनकार कर दिया।

जिला उपभोक्ता आयोग ने शिकायत की खारिज

श्रीमती शर्मा ने साल 2010 में जिला उपभोक्ता आयोग में इसे लेकर शिकायत दर्ज कराई, लेकिन उनका दावा खारिज कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) का रुख किया, जिसने मामले को वापस दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग को भेज दिया। 9 अक्टूबर, 2025 को उनके पक्ष में आयोग ने फैसला दिया।

एसबीआई ने दी यह दलील

SBI की ओर से कहा गया कि ECS मैनडेट में दी गई जानकारियां गलत थीं, जिसके कारण चेक बाउंस हुए, तो श्रीमती शर्मा ने कहा कि अगर ऐसा होता, तो उसी ECS मैनडेट के तहत बाकी की EMI कैसे काटी गईं। दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग इस तर्क से सहमत हुआ, आयोग ने कहा कि SBI की ओर से दिया गया तर्क भरोसे के लायक नहीं है।

कार लोन की किस्तें चुकानी थीं

दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग के 9 अक्टूबर, 2025 के आदेश के अनुसार, शिकायतकर्ता शर्मा का दिल्ली स्थित SBI की करावल नगर शाखा में एक बचत खाता था। उन्होंने 15 अप्रैल, 2008 को HDFC बैंक से 2.6 लाख रुपये का कार लोन लिया था। लोन की शर्तों के मुताबिक, 48 किस्तों में लोन को चुकाया जाना था, एक किश्त 7,054 रुपये की थी। SBI की ओर से HDFC बैंक के पक्ष में ECS मैनडेट जारी किया गया था, जिससे HDFC बैंक ECS सिस्टम के जरिए ग्राहक के SBI बचत खाते से 7,054 रुपये की EMI राशि ऑटोमेटिक काट सकता था।

11 चेक बाउंस हो गए

हालांकि, 11 चेक बाउंस हो गए और कुल 4,400 रुपये काटे गए। इनमें से तीन चेक पर्याप्त बैलेंस नहीं होने की वजह से बाउंस हुए। जबकि अकाउंट की डिटेल के मुताबिक शर्मा के बैंक खाते में पर्याप्त धनराशि थी। आठ चेक इस आधार पर बाउंस हो गए कि खाता वैध नहीं था।

खाते में था पर्याप्त पैसा

श्रीमती शर्मा ने तुरंत SBI से संपर्क किया, लेकिन बैंक के अधिकारियों ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। उल्टा उन्होंने पूछा कि आपने समय पर पर्याप्त राशि अकाउंट में क्यों नहीं जमा की। तब श्रीमती शर्मा ने अपने खाते का बैंक स्टेटमेंट निकाला और देखा कि खाते में EMI के लिए पर्याप्त पैसा रहता था।

इसलिए, उसने 2011 में जिला उपभोक्ता आयोग में SBI के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। वह जिला फोरम में केस हार गई और फिर उसने NCDRC में शिकायत दर्ज कराई, जिसने मामले को वापस राज्य उपभोक्ता आयोग को भेज दिया गया, जहां से उनके पक्ष में फैसला आया।