
RBI का अनुमान है कि जनवरी से महंगाई में धीरे-धीरे बढ़ोतरी हो सकती है। (PC: AI)
साल 2025 भारतीय शेयर बाजार के लिए उतार-चढ़ाव भरा रहा, लेकिन मजबूत साबित हुआ। जहां वैश्विक अनिश्चितताओं और विदेशी निवेशकों की बिकवाली ने बीच-बीच में दबाव बनाया, वहीं घरेलू मांग, नीति समर्थन और बेहतर होते मैक्रो संकेतकों ने बाजार को संभाले रखा। साल के अंत तक Nifty 50 और BSE Sensex दोनों ने निवेशकों को महंगाई से बेहतर रिटर्न दिया। अब सवाल यह है कि क्या यह रुझान 2026 में भी जारी रहेगा।
निफ्टी 50 ने 1 दिसंबर 2025 को 26,326 अंक का ऑल-टाइम हाई छुआ और पूरे साल में 10.2% की बढ़त दर्ज की। वहीं, सेंसेक्स ने बीते एक साल में करीब 8% का रिटर्न दिया। हालांकि यह प्रदर्शन पूरे साल एकसमान नहीं रहा, कुछ महीनों में तेजी दिखी तो कुछ समय मुनाफावसूली और वैश्विक संकेतों के कारण बाजार दबाव में रहा।
भारत में महंगाई अक्टूबर में रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचने के बाद नवंबर में थोड़ी बढ़ी, लेकिन यह अब भी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के 4% के लक्ष्य से नीचे बनी हुई है। इससे केंद्रिय बैंक को ब्याज दरों में नरमी बरतने का मौका मिला। हाल ही में RBI ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की और संकेत दिए कि 2026 में भी मौद्रिक नीति को लचीला बनाना जारी रह सकता है। RBI का अनुमान है कि जनवरी से महंगाई में धीरे-धीरे बढ़ोतरी हो सकती है।
ब्रोकरेज फर्म Axis Direct के अनुसार, भारत का कॉरपोरेट अर्निंग्स साइकल अब एक टर्निंग पॉइंट पर है। अनुमान है कि FY26–27 में कंपनियों की आय 12-15% सालाना दर से बढ़ सकती है। वित्तीय सेवाएं, उपभोक्ता मांग और पूंजीगत खर्च वाले सेक्टरों में रिकवरी के संकेत साफ दिख रहे हैं। ब्रोकरेज का मानना है कि भारत उन चुनिंदा बड़े बाजारों में शामिल है, जहां चक्रीय रिकवरी और संरचनात्मक विकास एक साथ चल रहे हैं।
भारत की आर्थिक रफ्तार 2026 में भी मजबूत रहने की उम्मीद है। ब्रोकरेज फर्म Axis Direct ने GDP ग्रोथ का अनुमान 6.4% से बढ़ाकर 6.7-6.8% किया है, जबकि RBI ने FY25-26 के लिए ग्रोथ अनुमान 7.3% कर दिया है। दूसरी ओर, विदेशी पूंजी निकासी और भारत-अमेरिका व्यापार से जुड़ी चिंताओं के चलते रुपया 90 रुपये प्रति डॉलर के पार फिसला। हालांकि कमजोर रुपये से आयात महंगा होता है, लेकिन निर्यातकों को इससे फायदा मिलता है। विशेषज्ञों को उम्मीद है कि आने वाले समय में रुपया फिर से नीचे आ सकता है।
अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर लगाए गए ऊंचे टैरिफ निवेशकों की धारणा को प्रभावित कर रहे हैं। यदि इनमें आंशिक या पूर्ण राहत मिलती है, तो इससे निर्यात आधारित सेक्टरों को मजबूती मिल सकती है और विदेशी निवेशकों का भरोसा लौट सकता है। यही कारण है कि 2026 में वैश्विक नीतिगत फैसले भारतीय बाजार के लिए अहम रहने वाले हैं।
InCred Wealth के CEO नितिन राव के मुताबिक, 2026 में बाजार का रुख “सावधानी से सकारात्मक” रह सकता है। उनका मानना है कि अब रिटर्न वैल्यूएशन से ज्यादा अर्निंग्स ग्रोथ पर आधारित होंगे। वहीं, Motilal Oswal Financial Services को भी 26 में स्थिर लेकिन निरंतर ग्रोथ की उम्मीद है, जिसे कॉरपोरेट कमाई में सुधार और निजी निवेश में बढ़ोतरी का समर्थन मिलेगा। आने वाला 2026 का केंद्रीय बजट बाजार की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकता है।
Published on:
27 Dec 2025 05:47 pm
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