कर्मचारी संगठनों ने मांग की कि रिटायरमेंट से 1 साल पहले कर्मचारियों को NPS और UPS में से अपनी योजना चुनने का अंतिम विकल्प दिया जाए।
केंद्र सरकार ने नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) और यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) में सुधार के संकेत दिए हैं। कर्मचारी संगठनों ने दोनों पेंशन योजनाओं में पुरानी पेंशन योजना जैसी सुविधाएं देने के लिए दबाव बनाया था, जिसके आगे सरकार को झुकना पड़ा और उसने 15 दिन में इस बाबत फैसला लेने पर हामी भरी है। सरकारी कर्मचारियों के बड़े संगठन Government Employees National Confederation (GENC) के प्रतिनिधि बीते दिनों केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से अपनी डिमांड को लेकर मिले थे। उनमें से एक डिमांड पुरानी पेंशन योजना की बहाली को लेकर थी। मंत्री ने इस मैटर को पेंशन विभाग वी श्रीनिवास के सचिव के हवाले कर दिया था।
इसके बाद GENC के पदाधिकारी पेंशन सचिव से मिले और अपनी डिमांड बताईं। साथ ही उन्हें NPS-UPS की खामियां भी गिनाईं, जो पुरानी पेंशन योजना में नहीं थीं। पेंशन सचिव ने आश्वस्त किया कि फाइनेंस मिनिस्ट्री से कंसल्टेशन के बाद इस पर उचित फैसला लिया जाएगा। आइए जानते हैं कि कंफेडरेशन ने पेंशन सचिव के सामने क्या मुद्दे रखे।
कंफेडरेशन के महामंत्री मुकेश सिंह के मुताबिक GENC ने जोर दिया कि पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल किया जाना चाहिए। उनका तर्क था कि NPS और UPS में कई ऐसे प्रावधान हैं, जो कर्मचारियों के लिए फायदेमंद नहीं हैं। OPS कर्मचारी हित में अधिक पारदर्शी और स्पष्ट था।
अन्य मुद्दों पर भी पेंशन सचिव से डिस्कशन पॉजिटिव रहा है। इनमें :
वर्तमान में UPS के नियमों के अनुसार, पेंशन पाने के लिए कम से कम 25 साल की सर्विस अनिवार्य है। GENC ने इस प्रावधान को कर्मचारियों के हक के खिलाफ बताया, क्योंकि इससे वेतनभोगी जिनकी सेवा अवधि कम है, वे पेंशन नहीं पा पाएंगे। OPS में अंतिम वेतन या बीते 10 महीनों का औसत वेतन पेंशन के निर्धारण में इस्तेमाल होता था, जो ज्यादा फायदेमंद था।
UPS के नियम यह तय करते हैं कि पेंशन केवल 60 साल की आयु में ही दी जाएगी, चाहे कर्मचारी VRS क्यों न ले लें। GENC ने इस नियम को कर्मचारियों के लिए अनुचित करार दिया, क्योंकि इससे उन्हें सालों तक पेंशन के लिए इंतजार करना होगा।
GENC ने यह प्रस्ताव भी रखा कि सेवा खत्म होने से एक साल पहले कर्मचारियों को NPS और UPS के बीच अपनी योजना चुनने का अंतिम विकल्प दिया जाए। इससे वे अपनी सेवा की पूरी जानकारी व स्थिति के आधार पर सही विकल्प चुन सकेंगे।
पेंशन विभाग के सचिव वी श्रीनिवास ने सभी सुझावों को ध्यान से सुना और कहा कि दो हफ्ते के भीतर इन पर फैसले लिए जाएंगे। उन्होंने माना कि मौजूदा नियम कई कर्मचारियों के लिए भारी पड़ रहे हैं और इनमें बदलाव पर गंभीरता से विचार होगा।