केंद्र सरकार हवाई अड्डों के निजीकरण की बड़ी तैयारी में है। वाराणसी, रायपुर और जबलपुर समेत देश के 11 हवाई अड्डों को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत निजी कंपनियों को सौंपने का प्रस्ताव तैयार किया गया है।
Airport Privatization: देश में वाराणसी, रायपुर व जबलपुर सहित 11 और हवाई अड्डों का संचालन सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल (पीपीपी) के तहत निजी क्षेत्र को सौंपने की तैयारी है। जानकार सूत्राें के अनुसार हाल ही नागर विमानन मंत्रालय ने समीक्षा के बाद इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस योजना के अंतिम मापदंड तय कर आगामी केंद्रीय बजट में इसकी घोषणा की जा सकती है। देश में दिल्ली, मुंबई, बेंगलूरु व जयपुर समेत 14 हवाई अड्डे पहले से ही निजी क्षेत्र में संचालित किए जा रहे हैं। नए हवाई अड्डों को बोली के आधार पर निजी क्षेत्र को सौंपा जाएगा।
सूत्रों ने बताया कि छोटे हवाई अड्डों को भी संचालन के लिए आर्थिक रूप से संभाव्य (वायबल) बनाने के लिए ऐसा फार्मूला बनाया जा रहा है जिसके तहत बड़े हवाई अड्डे को पास के बड़े हवाई अड्डे के साथ जोड़कर प्रस्ताव तैयार किए जाएंगे। इसके बाद संयुक्त इकाई को बोली प्रक्रिया के माध्यम से निजी कंपनियों से बोली मांगी जाएगी।
ये बड़े एयरपोर्ट- अमृतसर, वाराणसी, भुवनेश्वर, रायपुर, तिरुचिरापल्ली।
ये छोटे हवाई अड्डे - कुशीनगर, गया, हुबली, छत्रपति संभाजीनगर (औरंगाबाद), जबलपुर और तिरुपति।
हवाई अड्डों को निजी क्षेत्र को सौंपने से उसमें सुविधाओं के नाम पर अलग शुक्ल वसूलने की छूट मिलती है। इससे यात्रियों पर बोझ बढ़ेगा। कई बार पर्याप्त एवं स्तरीय यात्री सुविधाओं में कमी के बावजूद शुल्क वसूली से सवाल उठते रहे हैं। 2020-21 में केंद्र सरकार द्वारा जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डों को औपचारिक रूप से प्रति यात्री शुल्क के आधार निजी कंपनी को सौंपा गया था। वैसे भारत में निजी कंपनियों को एयरपोर्ट संचालन सौंपने की शुरुआत 2006 में दिल्ली व मुंबई एयरपोर्ट से हुई थी।