Budget 2025: केंद्रीय बजट 2025 से पहले निवेशकों और बाजार विशेषज्ञों की निगाहें सरकार की वित्तीय नीतियों पर टिकी हुई हैं। वित्तीय अनुशासन का मतलब है कि सरकार अपनी आय और खर्चों के बीच संतुलन बनाए रखे, जिससे अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनी रहे। आइए जानते हैं पूरी खबर।
Budget 2025: केंद्रीय बजट 2025 से पहले निवेशकों और बाजार विशेषज्ञों की नजरें सरकार की वित्तीय नीतियों पर टिकी हुई हैं। एलजीटी वेल्थ इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर राजेश चेरुवु के अनुसार, इस बार का बजट वित्तीय अनुशासन (Fiscal Prudence) पर केंद्रित हो सकता है और 4.5-4.6% के फिस्कल डेफिसिट लक्ष्य के साथ बाजार की धारणा को मजबूती दे सकता है।
वित्तीय अनुशासन का अर्थ है सरकार द्वारा अपने खर्चों और आय के बीच संतुलन बनाए रखना, ताकि अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनी रहे। राजकोषीय घाटा वह स्थिति है जब सरकार के कुल खर्च उसकी कुल आय से अधिक होते हैं। वर्तमान में, सरकार का लक्ष्य वित्त वर्ष 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को GDP के 4.5% तक लाना है। यदि बजट 2025 (Budget 2025) में 4.6% का लक्ष्य निर्धारित किया जाता है, तो यह इस दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जाएगा।
फिस्कल डेफिसिट किसी भी देश की सरकार के खर्च और उसकी आय (Budget 2025) के बीच का अंतर होता है। भारत में, सरकार विभिन्न आर्थिक और सामाजिक योजनाओं को पूरा करने के लिए ऋण लेती है, जिससे यह घाटा बढ़ सकता है। यदि सरकार इस अंतर को नियंत्रण में रखने में सफल होती है, तो यह निवेशकों और बाजार (Budget 2025) के लिए सकारात्मक संकेत हो सकता है।
बजट 2025 भारतीय शेयर बाजार के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक होगा, क्योंकि यह मोदी सरकार 3.0 का पहला पूर्ण बजट (Budget 2025) होगा। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार यदि निम्नलिखित कदम उठाती है, तो बाजार में उत्साह देखा जा सकता है:
भारतीय शेयर बाजार हाल के दिनों में वैश्विक अनिश्चितताओं, महंगाई और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दर नीतियों से प्रभावित हुआ है। बजट (Budget 2025) के माध्यम से सरकार यदि वित्तीय स्थिरता और विकास को प्राथमिकता देती है, तो यह बाजार के लिए उत्साहजनक होगा।
बजट में यदि इन क्षेत्रों में ठोस कदम उठाए जाते हैं, तो बाजार की नकारात्मक धारणा को बदलने में मदद मिल सकती है:
बाजार में निवेश करने वाले निवेशकों को कुछ महत्वपूर्ण जोखिमों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
अमेरिका में संभावित रूप से डोनाल्ड ट्रंप की वापसी वैश्विक व्यापार और भारतीय बाजारों (Budget 2025) पर असर डाल सकती है। यदि ट्रंप प्रशासन कठोर व्यापार नीतियां अपनाता है, तो इससे चीन से हटकर भारत में निवेश बढ़ सकता है। हालांकि, यदि अमेरिका की ब्याज (Budget 2025) दरें ऊंची बनी रहती हैं, तो भारतीय बाजारों में एफपीआई (Foreign Portfolio Investment) का प्रवाह प्रभावित हो सकता है।
अगले 1-2 वर्षों के लिए निवेशकों को निम्नलिखित क्षेत्रों पर ध्यान देना चाहिए