Budget 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025 में करदाताओं के लिए एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उनके अनुसार, नया कर व्यवस्था अब इस तरह से तैयार की गई है कि इससे करदाताओं को अधिक राहत मिलेगी और उनकी वित्तीय स्थिति में सुधार होगा।
Budget 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025 (Budget 2025) में करदाता वर्ग के लिए एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उनके अनुसार, नया कर व्यवस्था अब ऐसे तरीके से तैयार की गई है, जिससे मध्यवर्गीय करदाताओं को राहत मिलेगी और उनका कर बोझ कम होगा। वित्त मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि ₹12 लाख तक की सामान्य आय पर कोई कर नहीं लगेगा, और यह प्रस्ताव वित्तीय वर्ष 2025-26 (AY 2026-27) से लागू होगा।
बजट 2025 में वित्त मंत्री ने घोषणा की कि अब ₹12 लाख तक की आय पर कोई कर नहीं लगेगा। खासकर वे करदाता जो वेतन, पेंशन और बैंक जमा जैसे सामान्य स्रोतों से आय प्राप्त करते हैं, वे इस कर राहत का लाभ उठा सकेंगे। ₹12 लाख तक की आय पर टैक्स छूट का प्रस्ताव दिए जाने के साथ-साथ स्लैब दर में भी कमी की जाएगी। इसमें वेतनभोगी करदाताओं को ₹12.75 लाख तक की आय पर भी टैक्स में छूट मिलेगी, क्योंकि ₹75,000 का मानक कटौती मिलेगा।
नई कर व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य मिडल क्लास पर टैक्स (Budget 2025) का बोझ कम करना है। इससे न केवल टैक्स में कमी आएगी, बल्कि घरों की खपत, बचत और निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा। वित्त मंत्री ने कहा कि बदलावों के साथ-साथ कर रियायतों को बढ़ाया जाएगा, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग टैक्स बचा सकें।
वित्त मंत्री के अनुसार, नए कर स्लैब में बदलाव से निम्नलिखित आय स्तरों पर करदाताओं को विभिन्न लाभ होंगे:
नए टैक्स स्लैब (Budget 2025) के तहत, अब तक करदाताओं को अधिक टैक्स चुकाना पड़ता था, लेकिन नए प्रस्ताव के तहत टैक्स की दरें कम हो जाएंगी, जिससे वे अधिक बचत कर सकेंगे। यह बदलाव विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी होगा जो ₹12 लाख से अधिक की आय प्राप्त करते हैं, क्योंकि उन्हें कम टैक्स (Budget 2025) देना होगा और उनकी मासिक खर्चों की क्षमता में वृद्धि होगी।
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि इन बदलावों के चलते टैक्स रिबेट को बढ़ाया जाएगा और स्लैब रेट्स (Budget 2025) को घटाया जाएगा। इसके अलावा, मध्यम वर्ग को अन्य कर राहत भी मिलेंगी, जिससे उनकी जीवनशैली पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। वित्त मंत्री ने यह सुनिश्चित किया कि इन बदलावों का उद्देश्य केवल करदाता की राहत को बढ़ाना नहीं है, बल्कि उनकी बचत, निवेश और खपत को भी बढ़ावा देना है।