Selling gold tax rules: सोने की खरीद के साथ बेचने पर भी टैक्स देना पड़ता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप गोल्ड कितने साल के बाद बेच रहे हैं।
Selling Gold Tax rules: अगर आप सोना या इसके आभूषण खरीदते है तो आपको वस्तु एंड सेवा कर (GST) देना पड़ता है। वहीं, गोल्ड को बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स लगता है। सीए आशुतोष खंडेलवाल के मुताबिक, सोने को खरीदने और बेचने पर आप टैक्स बचा सकते है। अजय नाम के एक शख्स ने पूछा, मेरे पास कुछ पुश्तैनी ज्वैलरी रखी है, जिसे में बेचना चाहता हूं। पैसे को ज्वैलरी या प्रॉपर्टी में निवेश करना चाहता हूं। कैपिटल गेन पर लगने वाले टैक्स से छूट कैसे पा सकता हूं?
सीए आशुतोष खंडेलवाल के अनुसार, गोल्ड सुंदरता बढ़ाने के साथ निवेश का काफी अच्छा ऑप्शन है। देश में अधिक मांग की वजह से इसे इम्पोर्ट किया जाता है। सोना खरीदने पर जीएसटी और बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स देना होता है।
गोल्ड की खरीद के साथ बेचने पर भी टैक्स देना पड़ता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप गोल्ड कितने साल के बाद बेच रहे हैं। अगर आप गोल्ड 2 साल के भीतर बेच रहे हैं तो इस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है। वहीं, 2 साल के बाद गोल्ड बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होता है।
फिजिकल गोल्ड (ज्वेलरी, सिक्के, बिस्किट) पर टैक्स लगता है। ई-गोल्ड / गोल्ड ETF / सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड) पर नियम अलग-अलग हो सकते हैं। SGB यदि मेच्योरिटी (8 साल) पर रिडींग किया जाए, तो कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगता।
धारा 54F के तहत लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर आयकर छूट का दावा कर सकते हैं। यह तभी पा सकते हैं, जब सोना बेचकर आप घर खरीदते हैं। सरकार ने सिर्फ घर खरीदने पर ही टैक्स में छूट का प्रावधान कर रखा है। शेयर, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड अथवा प्रॉपर्टी से होने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स पर भी छूट पा सकते हैं।
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