UPS के सबस्क्राइबर की संख्या बढ़कर 31555 हो गई है। यानी संख्या में 3 गुना की बढ़ोतरी हुई है।
केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए 1 अप्रैल 2025 को नई पेंशन योजना - Unified Pension Scheme की शुरुआत की थी। इसे ज्वाइन करने की अंतिम तारीख 30 जून थी लेकिन उस समय तक 33 लाख केंद्रीय कर्मचारियों में से महज 10 हजार के आसपास की संख्या में लोग इस नई पेंशन योजना से जुड़े थे।
केंद्र सरकार ने अपडेट यह दिया है कि UPS के सबस्क्राइबर की संख्या बढ़कर 31555 हो गई है। यानी संख्या में 3 गुना की बढ़ोतरी हुई है। इस विकल्प को नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के तहत लाया गया है। यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को नई तरह से पेंशन देने की योजना के रूप में पेश किया गया है, जिसका उद्देश्य है कर्मचारियों को बुढ़ापे में निश्चित वित्तीय सुरक्षा देना।
सरकार ने UPS को चुनने की आखिरी तारीख 30 सितंबर, 2025 तक बढ़ाई है। UPS के तहत कर्मचारियों को NPS के बजाय एक स्थायी और निश्चित पेंशन मिल सकेगी, जिससे उन्हें रिटायरमेंट के बाद अपनी वित्तीय योजना बनाने में आसानी होगी। हालांकि उनके मन में यह सवाल है कि UPS को चुनना फायदे का सौदा है या नुकसान का?
इस भ्रम को कर्मचारी यूनियनों ने दूर करना शुरू किया है। संयुक्त कर्मचारी परिषद के महामंत्री आरके वर्मा के मुताबिक यह पेंशन योजना उन कर्मचारियों के लिए फायदेमंद है, जो निश्चित पेंशन चाहते हैं और शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव से परेशान हैं। उनका कहना है कि UPS के तहत पेंशन की रकम तय होगी, जिससे भविष्य में मंथली पेंशन समान रहेगी।
वहीं कुछ संगठनों का मानना है कि UPS, NPS जितना लचीलापन नहीं देती। NPS में निवेश से मिलने वाला फायदा ज्यादा हो सकता है, लेकिन वह बाजार पर निर्भर करता है। UPS में ये लाभ सीमित हो सकते हैं। कर्मचारी यूनियनों ने अपने सदस्यों से कहा है कि UPS चुनने से पहले वे अपनी नौकरी का टेन्योर, फाइनेंशियल जरूरत और जोखिम क्षमता को ध्यान में रखें। अगर आपका रिटायरमेंट पास है और आप स्थायी पेंशन चाहते हैं तो UPS एक बेहतर विकल्प हो सकता है।