IS Silver Bubble about to Burst: मार्केट में एक वर्ग का मानना है कि चांदी की कीमतों में मौजूदा तेजी सिर्फ स्पेकुलेशन के चलते है। वहीं दूसरा वर्ग इसके पीछे, सप्लाई की कमी, ओद्योगिक मांग और चीन के निर्यात प्रतिबंधों को वजह बता रहा है।
Is Silver Bubble about to Burst: चांदी का भाव सोमवार को एमसीएक्स पर 2,54,174 रुपये प्रति किलोग्राम पर जा पहुंचा था, जो कि इसका नया ऑल टाइम हाई है। इस तरह साल 2025 में चांदी की कीमत 196 फीसदी बढ़ गई है। अगर किसी ने 1 जनवरी 2025 को चांदी में 1 लाख रुपये निवेश किये होते, तो आज यह रकम 2.97 लाख रुपये हो जाती। साल 2025 के पहले दिन चांदी की कीमत 85,913 रुपये प्रति किलोग्राम थी। अब सवाल यह है कि चांदी में आई यह तेजी सिर्फ बुलबुला है या इसके पीछे वास्तविक कारण हैं।
जानी-मानी बुक रिच डैड पुअर डैड के ऑथर रॉबर्ट कियोसाकी ने कहा है कि चांदी की कीमतें साल 2026 में 200 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अभी चांदी में इन्वेस्ट न करें, क्योंकि कीमतों का बबल फूटने वाला है। उन्होंने कहा कि इस समय चांदी में फोमो (मौके के छूट जाने का डर) साफ दिखाई दे रहा है और ऐसा तेज गिरावट से पहले देखने को मिलता है। बता दें कि वैश्विक स्तर पर चांदी की कीमतें इस समय 74 डॉलर प्रति औंस के करीब हैं।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कियोसाकी ने लिखा, 'क्या सिल्वर बबल फूटने वाला है? आई लव सिल्वर… मैंने 1965 में अपनी पहली चांदी खरीदी थी। लेकिन क्या सिल्वर बबल फूटने वाला है? फोमो यानी मौके के छूटने का डर… क्रैश आने वाला है। अगर आप चांदी में निवेश करने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो धैर्य रखें। क्रैश का इंतजार करें और उसके बाद निवेश करें। मेरा विश्वास है कि चांदी 2026 में 100 डॉलर और संभवत: 200 डॉलर प्रति औंस तक जाएगी। मेरे रिच डैड लेसन को याद रखें: "आपका प्रॉफिट उस समय बनता है जिस समय आप खरीदते हैं, उस समय नहीं जब आप बेचते हैं।" स्मार्ट इन्वेस्टर्स के लिए धैर्य बहुत जरूरी है।' कियोसाकी के अनुसार, लंबी अवधि में मुनाफा बनाने के लिए सही एंट्री पॉइंट्स ज्यादा अहम होते हैं, न कि भावनाओं में लिए गए फैसले।
चांदी की कीमतों में इस साल आई तेजी ने बाजार को दो हिस्सों में बांट दिया है। एक वर्ग इसे अत्यधिक स्पेकुलेशन (अटकलबाजी/सट्टा) मान रहा है। जबकि दूसरे वर्ग का मानना है कि सप्लाई में कमी, औद्योगिक मांग के बढ़ने और चीन के निर्यात प्रतिबंधों के चलते कीमतें ऊपर जा रही हैं।
एसेट मैनेजमेंट कंपनी पेस 360 के को-फाउंडर और मुख्य वैश्विक रणनीतिकार अमित गोयल ने भी चांदी की हालिया तेजी को क्लासिक कमोडिटी बबल बताया है। उनका कहना है कि इस तेजी का फंडामेंटल रियलिटी से कोई कनेक्शन नहीं है। उन्होंने कहा कि चांदी का मौजूदा प्राइस एक्शन डॉलर इंडेक्स, इक्विटी मार्केट्स और हकीकत के किसी भी पैमाने से पूरी तरह कट चुका है।
उन्होंने इसकी तुलना 2008 के क्रूड ऑयल बबल से की, जब कच्चे तेल की कीमतें 145 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थीं। जबकि इतने साल बाद आज क्रूड ऑयल 60 डॉलर प्रति बैरल में मिल रहा है। उन्होंने चांदी के मौजूदा प्राइस एक्शन की तुलना 1999-2000 के टेक बबल से भी की।
गोयल ने कहा, 'बुलबुला ऐसा ही दिखता है। बाजार मामूली-सी सकारात्मक खबर को भी जरूरत से ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर दिखा रहा है, ठीक वैसे ही जैसे टेक बबल के दौर में टेक शेयरों के साथ हुआ था।' हालांकि, उन्होंने कहा कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि चांदी का फाइनल टॉप लेवल बन चुका है या नहीं, जिसके बाद गिरावट आए।
गोयल ने इस बात पर भी जोर दिया कि कीमतों में तेज उछाल के बावजूद हाल के दिनों में सिल्वर ईटीएफ (ETF) से पैसा निकलाता हुआ दिखा है। उन्होंने कहा, 'चांदी की इस पूरी लगभग 9-10 डॉलर की तेजी में हमें सिल्वर ईटीएफ में कोई इनफ्लो नहीं दिखा।' उनका मानना है कि यह रैली फंडामेंटल निवेश की बजाय सट्टेबाजी के दम पर चल रही है। उन्होंने माना कि चीन की एक्सपोर्ट पाबंदियों की डेडलाइन एक तात्कालिक ट्रिगर रही, लेकिन यह खबर कई हफ्तों से बाजार में मौजूद थी।
उनका अनुमान है कि जब यह बुलबुला फूटेगा, तो चांदी की कीमतें सभी सपोर्ट लेवल्स को तोड़ती चली जाएंगी और करीब एक से डेढ़ साल में अपने टॉप से कम से कम 50% से 60% तक गिरावट दर्ज करेंगी। उन्होंने कहा कि गोल्ड-सिल्वर रेश्यो का 108 से गिरकर 54 पर आना और ग्रीड इंडिकेटर्स का 1980 के टॉप से भी ऊपर होना चांदी में बबल का साफ संकेत है।