Mumbai में घर खरीदने में आधी कमाई Home Loan EMI में चली जा रही है।
अगर आप Mumbai, Gurugram, Delhi, Bengaluru जैसे मेट्रो में घर खरीदने का सपना देख रहे हैं तो उतनी रकम जुटाने का टाइम सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे। जी हां, इन मेट्रो में घर खरीदने का सपना 35 से 109 साल में पूरा हो पाएगा। ये आंकड़े नेशनल हाउसिंग बोर्ड (NHB) की हालिया स्टडी में सामने आए हैं। इसमें बताया गया है कि मेट्रो सिटी में घर खरीदना टॉप 5% आमदनी वालों के लिए भी सपना बन गया है।
NHB डेटा के मुताबिक, मुंबई में टॉप 5% कमाने वाले परिवार को भी एक घर खरीदने के लिए करीब 109 साल तक बचत करनी होगी। दिल्ली में भी हालात बहुत अच्छे नहीं हैं, वहां 35 साल तो गुरुग्राम में 64 साल तक बचत के बाद ही कोई औसत घर मुमकिन है। बेंगलुरु में ये आंकड़ा 36 साल का है।
फाइनेंशियल प्लानिंग फर्म SahajMoney के संस्थापक अभिषेक कुमार बताते हैं कि मुंबई के शहरी परिवारों के टॉप 5% की Average Monthly Income 89,000 रुपये है। यानी वे साल का 10 लाख रुपये से ज्यादा कमाते हैं। साल की बात करें तो उनकी Annual Savings 3.2 लाख रुपये होती है। अगर इस आधार पर मुंबई में औसतन 1,184 वर्ग फुट का घर खरीदने जाते हैं तो उसकी कीमत करीब 3.5 करोड़ रुपये पड़ती है। अगर इस रफ्तार से बचत की तो ऐसे में उस घर के लिए 109 साल तक पैसे बचाने होंगे, तब कहीं जाकर घर खरीदने की रकम जुट पाएगी।
कुमार बताते हैं कि मुंबई में EMI to Income ratio 48% तक है, यानी सैलरी का आधा हिस्सा होम लोन की किस्त में चला जाता है। वहीं, अहमदाबाद जैसे शहरों में यह केवल 18% है, जिससे वो देश का सबसे सस्ता शहर बन जाता है। जब टॉप 5% कमाने वालों को भी घर खरीदने के लिए 100 साल लगते हैं, तो सोचिए बाकी कमाने वालों का क्या हाल होगा।
जानकार कहते हैं कि Home Loan लेकर घर खरीदा जा सकता है। लेकिन वह भी आसान नहीं है। क्यों?
1- Home Loan लेने के लिए उसमें पति-पत्नी की मिलीजुली इनकम जोड़नी होगी।
2-ऑफिस से दूर घर खरीदना पड़ेगा और रोज लंबा सफर तय करना होगा।
3- सबसे मुश्किल फैसला यह होगा कि आप बाकी सपनों को टाल दें- मसलन बच्चों की पढ़ाई, ट्रैवल, दूसरे निवेश वगैरह।
निवेश सलाहकार अमित निगम के मुताबिक आज के दौर में सही रास्ता यही है, जहां अफोर्डेबल है, वहां घर खरीदिए और जहां जरूरत है, वहां किराए पर रहिए। मुंबई या दिल्ली में घर खरीदने का सपना अब Straight forward नहीं रहा। ये एक मैथ्स, माइंडसेट और मनी का कॉम्बिनेशन बन गया है। सपना अब भी जिंदा है, बस उसे हकीकत में बदलने का तरीका बदल गया है।
निगम के मुताबिक यह हाइब्रिड मॉडल अब Urban Middle Class के लिए सबसे प्रैक्टिकल विकल्प है। कोई Tier-2 शहर में घर खरीदता है ताकि निवेश भी हो और इमोशनल सिक्योरिटी भी। वहीं मेट्रो शहर में किराए पर रहना आपकी प्रोफेशनल लाइफ को स्थिर बनाए रखता है। आप एक साथ दोनों कर सकते हैं, निवेश भी और जीवन की सुविधा भी। इसके लिए आपको बेहतर स्ट्रैटेजी पर काम करने की जरूरत होगी।