Ratan Tata inspirational story: कारोबारी दुनिया में सफलता की ऊंचाई छूने वाले रतन टाटा ने समाज के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। उनसे जुड़ी कहानियां हमें इंसान के तौर पर भी सफल बनने की प्रेरणा देती हैं।
Ratan Tata Birthday Special: रतन टाटा भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनसे जुड़े किस्से हमें एक सफल और बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करते रहते हैं। कल यानी 28 दिसंबर को रतन टाटा का जन्मदिन है, यदि वह होते तो यह दिन और भी ज्यादा खास हो जाता। रतन टाटा को सबका ख्याल था, अपनी वसीहत में वह सबके लिए कुछ न कुछ छोड़ गए थे। टाटा स्ट्रीट डॉग्स से बेहद प्यार करते थे और लोगों से भी उनके प्रति करुणा की अपील करते रहते थे।
रतन टाटा के जन्मदिन के मौके पर वो किस्सा एक बार फिर से याद आ गया है, जब उन्होंने अपने बीमार कुत्ते को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से ज्यादा तवज्जो दी। यह अवॉर्ड उन्हें ब्रिटेन के तत्कालीन प्रिंस चार्ल्स के हाथों मिलना था, लेकिन वह नहीं गए। प्रिंस चार्ल्स को जब रतन टाटा के न आने की वजह बताई गई, तो वह नाराज नहीं हुए। उन्होंने टाटा की इस आदत को उनकी महानता बताया, वो क्वालिटी जो हर इंसान में होनी चाहिए।
रतन टाटा के दोस्त और बिजनेसमैन सुहेल सेठ के मुताबिक, टाटा को 2018 में ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड दिया जाना था। टाटा ने प्रिंस का निमंत्रण स्वीकार किया और लंदन जाने की तैयारी में जुट गए। हालांकि, इस दौरान कुछ ऐसा हुआ कि वह अवॉर्ड लेने नहीं पहुंचे। अवॉर्ड समारोह 6 फरवरी को होना था, सुहेल भी इसका हिस्सा बनने के लिए 3 फरवरी को लंदन पहुंच गए थे। रतन टाटा के न आने की कोई गुंजाइश ही नहीं थी, खुद प्रिंस चार्ल्स उन्हें सम्मानित करने वाले थे।
सुहेल सेठ ने एक वीडियो में बताया कि जब लंदन एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद उन्होंने अपना मोबाइल ऑन किया तो देखा कि रतन टाटा के 11 मिस्ड कॉल थे। वह हैरान रह गए कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि टाटा को 11 कॉल करने पड़े। उन्होंने तुरंत कॉल बैक किया, रतन टाटा ने सुहेल से कहा कि वह अवॉर्ड लेने लंदन नहीं आ पाएंगे, यह सुनकर सुहेल हैरान और परेशान हो गए। सुहेल सेठ ने रतन टाटा से कहा कि प्रिंस ने लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड समारोह केवल आपके लिए रखा है। यदि आप नहीं आएंगे तो उन्हें अच्छा नहीं लगेगा। लेकिन रतन टाटा का फैसला नहीं बदला।
दरअसल, रतन टाटा का एक डॉग बीमार हो गया था और टाटा उसे अकेले छोड़कर नहीं आना चाहते थे। टाटा के पास कर्मचारियों की फौज थी। वह चाहते तो किसी को भी अपने डॉग का ख्याल रखने की जिम्मेदारी सौंपकर अवॉर्ड लेने जा सकते थे। क्योंकि ऐसे मौके बार-बार नहीं मिलते मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया। वह अपने डॉग के साथ रुके और दर्शाया कि उनके लिए 'अपने' सबसे पहले आते हैं, फिर चाहे वह इंसान हो या जानवर। वह अपनों को दुख में अकेला छोड़कर नहीं जा सकते।
सुहेल आशंकित थे कि प्रिंस चार्ल्स, रतन टाटा के निमंत्रण स्वीकारने के बाद भी न आने से नाराज होंगे। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ। जब प्रिंस चार्ल्स को रतन टाटा के न आने की वजह पता चली, तो वह उनसे काफी प्रभावित हुए। उन्होंने टाटा की तारीफ करते हुए कहा कि इंसान ऐसा ही होना चाहिए। रतन टाटा एक कमाल के इंसान हैं और उनकी इसी आदत की वजह से आज टाटा समूह सफलता के इस मुकाम पर है। गौरतलब है कि टाटा समूह को भारत की पहचान बनाने वाले रतन टाटा का पिछले साल अक्टूबर में निधन हो गया था।