RBI Governor Shaktikant Das ने बैंकों को सतर्क रहने को कहा, ग्लोबल चैलेंज पर भी बोले शक्तिकांत दास।
RBI Governor Shaktikant Das: शक्तिकांत दास ने हाल ही में बैंकों से आह्वान किया है कि वे संभावित आर्थिक चुनौतियों का सामना करने के लिए अपने लिक्विडिटी बफर को मजबूत करें। यह अपील ऐसे समय में आई है जब वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां अस्थिर बनी हुई हैं, और भारतीय बैंकिंग प्रणाली पर दबाव का जोखिम बढ़ रहा है। गवर्नर ने कहा कि यह कदम न केवल बैंकों को संभावित वित्तीय संकट से बचाएगा, बल्कि उन्हें लचीलापन प्रदान करेगा, जिससे वे किसी भी कठिन परिस्थिति से प्रभावी ढंग से निपट सकें।
लिक्विडिटी बफर से आशय उन वित्तीय संसाधनों से है जो बैंक किसी भी आपात स्थिति में तत्काल नकदी प्रवाह की आवश्यकता को पूरा करने के लिए सुरक्षित रखते हैं। यह बफर एक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है, जो बैंकों को वित्तीय संकट के समय में आत्मनिर्भर बनाता है। गवर्नर दास ने बैंकों को इस दिशा में कदम उठाने की सलाह दी है ताकि अगर भविष्य में वैश्विक या घरेलू स्तर पर कोई आर्थिक संकट उत्पन्न होता है, तो बैंक उस स्थिति से आसानी से निपट सकें।
RBI Governor Shaktikant Das: दास ने यह भी स्पष्ट किया कि भले ही भारतीय बैंकिंग प्रणाली वर्तमान में मजबूत स्थिति में है, लेकिन भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए लिक्विडिटी बफर का निर्माण आवश्यक है। वैश्विक स्तर पर लगातार बढ़ती ब्याज दरें, कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव, और अन्य भू-राजनीतिक घटनाएं वित्तीय प्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, बैंकों को अपनी पूंजी और नकदी प्रवाह का पुनर्मूल्यांकन करने की जरूरत है।
गवर्नर ने अपने संबोधन में विभिन्न जोखिम कारकों पर भी प्रकाश डाला। वैश्विक आर्थिक मंदी का जोखिम, महंगाई दर में वृद्धि, और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अस्थिरता भारतीय बैंकों पर भी दबाव डाल सकते हैं। इसके अलावा, भारतीय अर्थव्यवस्था की धीमी विकास दर और ऋण पुनर्भुगतान के मामले में ग्राहकों की चुनौतियां भी चिंता का विषय हैं।
दास ने कहा कि इन संभावित चुनौतियों से निपटने के लिए बैंकों को अपनी लिक्विडिटी को सुदृढ़ करना होगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर बैंकों के पास पर्याप्त लिक्विडिटी नहीं होगी, तो उन्हें अल्पकालिक वित्तीय संकट का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने बैंकों से आग्रह किया कि वे अपने निवेश और ऋण नीति पर पुनर्विचार करें और अपनी नकदी प्रबंधन रणनीति को अधिक मजबूत बनाएं।
लिक्विडिटी बफर को मजबूत करने के लिए बैंकों को कई महत्वपूर्ण कदम उठाने की आवश्यकता है। इनमें से कुछ कदम निम्नलिखित हैं:
1. नकदी भंडार का निर्माण: बैंकों को अपने नकदी भंडार को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए वे अल्पकालिक और दीर्घकालिक नकदी प्रवाह की जरूरतों का आकलन कर सकते हैं।
2. ऋण वितरण में सतर्कता: बैंकों को उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में ऋण वितरण करते समय सतर्क रहना चाहिए। उन्हें उन सेक्टर्स में निवेश पर जोर देना चाहिए, जहां जोखिम कम है और प्रतिफल ज्यादा है।
3. जोखिम प्रबंधन: बैंकों को अपनी जोखिम प्रबंधन नीतियों की समीक्षा करनी चाहिए और उन्हें बेहतर बनाने की दिशा में काम करना चाहिए। यह उन्हें संभावित संकट से निपटने के लिए अधिक तैयार बनाएगा।
4. आय स्थिरता: बैंकों को अपनी आय के स्थिर और विविध स्रोतों का निर्माण करना चाहिए, जिससे वे बाजार की अस्थिरता के समय में भी अपनी आय को बनाए रख सकें।
5. आरबीआई के निर्देशों का पालन: बैंकों को RBI द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों और नीतियों का कड़ाई से पालन करना चाहिए। इससे वे नियामकीय ढांचे के भीतर रहकर अपनी गतिविधियों को संचालित कर सकेंगे।
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैंकों को एआई और बिगटेक का उपयोग करने को कहा । दास ने कहा कि एआई के बढ़ते उपयोग से साइबर आटैक और डेटा में सेंध जैसी नई कमजोरियां सामने आती हैं।
विश्व भर में मॉनिटरी पॉलिसी से कैपिटल फ्लो में अस्थिरता आ रही है। बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं को इस बाहरी फ्लो को प्रबंधित करने और इसके परिणामों को कम करने के लिए अपने नीतिगत ढांचे और बफर को मजबूत करना होगा।