Shashwat Guha warned: 29 जनवरी 2025 – निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए असुरक्षित व्यक्तिगत लोनों से जुड़ी जोखिम स्थिति गंभीर होती जा रही है, जिसके परिणामस्वरूप उनके वित्तीय स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। आइए जानते है पूरी खबर
Shashwat Guha warned: 29 जनवरी 2025 – निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए असुरक्षित व्यक्तिगत लोनों से संबंधित जोखिम बढ़ते जा रहे हैं, जिससे न केवल उनके वित्तीय स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है, बल्कि इस क्षेत्र में निवेशकों के लिए भी चिंता का कारण बन गया है। फिच रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक शाश्वत गुहा (Shashwat Guha) ने इस मुद्दे पर चेतावनी देते हुए कहा कि असुरक्षित व्यक्तिगत लोनों के कारण बैंकों को जोखिम का सामना करना पड़ सकता है, और इसके संभावित प्रभाव कैपिटल मार्केट्स पर भी पड़ सकते हैं।
शाश्वत गुहा (Shashwat Guha) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा, "असुरक्षित व्यक्तिगत लोन में जोखिम का प्रभाव सिर्फ बैंकों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह निवेशकों के लिए भी एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय बन सकता है, क्योंकि ये लोन शॉर्ट टर्म में बैंकों की बैलेंस शीट पर दबाव डाल सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि खासतौर पर व्यक्तिगत ऋण, माइक्रोफाइनेंस लोन और क्रेडिट कार्ड लोनों का लगातार बढ़ता बैलेंस इस क्षेत्र में निवेशकों की चिंता का कारण बन रहा है।
हाल ही में, निजी क्षेत्र के बैंक आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के शेयर मूल्य में 27 जनवरी को 9% की गिरावट देखी गई, जो कि बैंक द्वारा बढ़े हुए प्रावधानों की रिपोर्ट से संबंधित था। आईडीएफसी फर्स्ट बैंक ने अपने माइक्रोफाइनेंस खंड में बढ़ते डिफॉल्ट्स को कवर करने के लिए प्रावधान बढ़ाए थे, जिससे निवेशकों के बीच डर का माहौल बन गया। इसने बैंक के शेयर मूल्य पर नकारात्मक असर डाला।
असुरक्षित व्यक्तिगत लोन का बढ़ता आकार बैंकों की बैलेंस शीट पर दबाव बना रहा है। यह लोन, जिनमें व्यक्तिगत लोन, माइक्रोफाइनेंस और क्रेडिट कार्ड शामिल हैं, बैंकों के लिए उच्च जोखिम वाले होते हैं क्योंकि इन्हें सामान्यत बिना किसी संपार्श्विक के दिया जाता है। शाश्वत गुहा (Shashwat Guha) ने कहा, "बैंकों को इन असुरक्षित लोन को लेकर संभावित जोखिमों का आकलन करना होगा, क्योंकि यदि यह खंड अधिक बढ़ता है, तो बैंकों के वित्तीय प्रदर्शन पर इसका प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह केवल बैंकों के लिए नहीं, बल्कि इसके व्यापक आर्थिक प्रभाव भी हो सकते हैं, क्योंकि असुरक्षित लोन में बढ़ोतरी से वित्तीय स्थिरता पर असर पड़ सकता है।
असुरक्षित व्यक्तिगत लोनों के बढ़ते तनाव ने बैंकों के निवेशकों को भी चिंतित कर दिया है। निवेशक अब इस क्षेत्र में अधिक सतर्क हो गए हैं, क्योंकि ये ऋण बैंकों के लिए जोखिम पैदा कर सकते हैं और उनके वित्तीय प्रदर्शन को प्रभावित कर सकते हैं। इसके अलावा, वैश्विक स्तर पर आर्थिक अनिश्चितता और ब्याज दरों में बढ़ोतरी भी बैंकों के लिए चुनौतियां पैदा कर रही हैं।
फिच रेटिंग्स के शाश्वत गुहा (Shashwat Guha) ने सुझाव दिया कि बैंकों को अपने ऋण पोर्टफोलियो की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए कड़ी निगरानी रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि असुरक्षित ऋणों को देने से पहले बैंकों को उधारी लेने वालों की क्रेडिट क्षमताओं का गहन मूल्यांकन करना चाहिए, ताकि डिफॉल्ट की संभावना कम हो सके। इसके अलावा, बैंकों को उधारी देने की प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ानी चाहिए, ताकि उपभोक्ताओं को किसी भी संभावित संकट से बचाया जा सके।