
ISRO 100th Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 100वें ऐतिहासिक मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया। बुधवार, 29 जनवरी को सुबह 6:23 बजे, आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से जीएसएलवी-एफ12 रॉकेट द्वारा नेविगेशन उपग्रह एनवीएस-2 को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया। यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ और भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम था।
नेविगेशन उपग्रह NVS-02 भारतीय नेविगेशन प्रणाली 'नाविक' का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भारतीय उपमहाद्वीप और उसके आस-पास के क्षेत्रों को सटीक नेविगेशन सेवाएं प्रदान करना है। इस उपग्रह के माध्यम से भारत अपने सटीक स्थान निर्धारण और समय सेवाओं को और बेहतर बनाएगा। उपग्रह का वजन 2,250 किलोग्राम है और इसमें एल-1, एल-5 और एस-बैंड में पेलोड्स लगाए गए हैं। ये पेलोड्स कृषि, बेड़े प्रबंधन और लोकेशन-आधारित सेवाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
NVS-02 उपग्रह नेविगेशन (ISRO 100th Mission Launch) के क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि यह भारतीय उपमहाद्वीप से लेकर 1,500 किलोमीटर तक के क्षेत्र में उपयोगकर्ताओं को सटीक समय, गति और स्थिति जानकारी प्रदान करेगा। इस उपग्रह के माध्यम से भारत अपने नेविगेशन नेटवर्क की क्षमताओं को और अधिक मजबूत करेगा।
यह प्रक्षेपण इसरो के नए अध्यक्ष वी. नारायणन के नेतृत्व में हुआ, जिन्होंने 13 जनवरी 2025 को पदभार संभाला था। उन्होंने मिशन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करते हुए बताया कि तीसरे लॉन्च पैड के लिए 400 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिससे भविष्य में भारी रॉकेटों के प्रक्षेपण में मदद मिलेगी। इस सफलता के साथ ही इसरो ने एक और महत्वाकांक्षी योजना की ओर कदम बढ़ाया है, जो भारत को न केवल अंतरिक्ष क्षेत्र (ISRO 100th Mission Launch) में आत्मनिर्भर बनाएगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी उसकी पहचान को मजबूती देगा।
एनवीएस-02 उपग्रह (ISRO 100th Mission Launch) का प्रक्षेपण भारतीय नेविगेशन प्रणाली ‘नाविक’ के विस्तार के रूप में देखा जा रहा है। नाविक प्रणाली को भारत के खुद के GPS के रूप में माना जाता है, जो भारतीय उपमहाद्वीप और आस-पास के 1,500 किलोमीटर के क्षेत्र में सटीक स्थिति और समय जानकारी प्रदान करता है।
पूर्व वैज्ञानिक और भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान के प्रोफेसर आर.सी. कपूर ने नाविक प्रणाली को ‘भारत का अपना GPS बताते हुए कहा, यह प्रणाली सात उपग्रहों के समूह के माध्यम से सटीक स्थिति जानकारी प्रदान करती है। इस प्रणाली में रेंजिंग सिस्टम और रुबिडियम एटॉमिक घड़ी का उपयोग किया गया है, जिसे ग्राउंड स्टेशन पर स्थित घड़ी के साथ समन्वित किया गया है।
NVS-02 उपग्रह के सफल प्रक्षेपण के साथ, इसरो का लक्ष्य अपनी नेविगेशन प्रणाली को और अधिक सशक्त बनाना है। नाविक प्रणाली में उपग्रहों की संख्या को बढ़ाकर पांच किया गया है, जिससे सटीक स्थिति निर्धारण में सुधार होगा। इस मिशन के साथ इसरो (ISRO 100th Mission Launch) का आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।
इसरो के अनुसार, नाविक प्रणाली के पास दो प्रकार की सेवाएं उपलब्ध हैं नागरिक उपयोग के लिए स्टैण्डर्ड पोजीशनिंग सर्विस (SPS) और रणनीतिक उद्देश्यों (ISRO 100th Mission Launch) के लिए रेस्ट्रिक्टेड सर्विस (RS)। यह प्रणाली 20 मीटर से बेहतर पोजीशनिंग और 40 नैनोसेकंड से बेहतर टाइमिंग सटीकता प्रदान करती है। इसके अलावा, इसरो अब NISAR परियोजना की ओर भी काम कर रहा है, जो एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है और यह ISRO का अब तक का सबसे महंगा और बड़ा मिशन है, जो NASA के साथ मिलकर किया जा रहा है।
ISRO का 100वां मिशन न केवल भारत के लिए गर्व का क्षण है, बल्कि यह पूरे विश्व में भारत की बढ़ती अंतरिक्ष शक्ति को दर्शाता है। इस सफलता के बाद भारत का नाम अंतरिक्ष अन्वेषण (ISRO 100th Mission Launch) में और भी उज्जवल होगा, और वैश्विक मंच पर भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की महत्ता को और मजबूती मिलेगी।
Updated on:
29 Jan 2025 11:14 am
Published on:
29 Jan 2025 11:09 am
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