Personal Loan EMI Default: अगर आप पर्सनल लोन की ईएमआई में डिफॉल्ट कर जाते हैं, तो आपका क्रेडिट स्कोर काफी खराब हो जाएगा। साथ ही आप पर लेट पेमेंट चार्ज भी लगेगा।
जॉब का चले जाना, अचानक वित्तीय इमरजेंसी का आ जाना, बिजनेस ठप हो जाना या कोरोना जैसी स्थिति जैसी ऐसी कई परिस्थितियां हो सकती हैं, जिनमें व्यक्ति कर्ज नहीं चुका पाता। छोटी रकम के लोन और पर्सनल लोन के डिफॉल्ट होने के मामले अधिक देखे जाते हैं। 10,000 रुपये से कम के पर्सनल लोन की डिफॉल्ट रेट सबसे अधिक है। भारत के प्राइवेट बैंक्स का कहना है कि उन्हें धीमी इकोनॉमिक ग्रोथ के चलते इस साल छोटे और पर्सनल लोन्स पर डिफॉल्ट बढ़ने की आशंका है। पर्सनल लोन एक अनसिक्योर्ड लोन होता है। इसके ऐवज में बैंक आपसे कुछ भी गिरवी नहीं रखवाता है। इसके बावजूद पर्सनल लोन में डिफॉल्ट करने पर आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। आइए जानते हैं कि पर्सनल लोन न चुकाने पर क्या-क्या एक्शन होता है।
बैंक ऑटो-डेबिट के जरिए पर्सनल लोन की EMI ग्राहक के खाते से काटते हैं। अगर ड्यू डेट पर ग्राहक के खाते में पर्याप्त रकम नहीं होती, तो बैंक पेनल्टी लगाते हैं। पेनल्टी की यह रकम अलग-अलग बैंकों में अलग-अलग हैं। जैसे ICICI Bank ईएमआई बाउंस होने पर 500 रुपये चार्ज करता है। वहीं, एचडीएफसी बैंक 450 रुपये लेता है। इसके अलावा बैंक लेट पेमेंट चार्ज भी वसूलते हैं। जैसे एचडीएफसी बैंक ओवरड्यू इंस्टॉलमेंट अमाउंट का 1.50 फीसदी प्रति महीना+टैक्स चार्ज करता है। इससे पहले बैंक ड्यू डेट से 7 दिन का ग्रेस पीरियड भी देते हैं। इस दौरान भी ईएमआई नहीं चुकाई गई तो लेट पेमेंट फीस लगती है। इसी तरह ICICI Bank ओवरड्यू पर्सनल लोन ईएमआई पर 5 फीसदी सालाना लेट पेमेंट फीस लेता है।
RBI की गाइडलाइन के अनुसार, ग्राहक द्वारा पर्सनल लोन ईएमआई पेमेंट में देरी की जाती है, तो बैंकों द्वारा इसकी जानकारी क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनीज को देनी होती है। हर 15 दिन में यह रिपोर्ट देनी होती है। ऐसे में ईएमआई में देरी की जानकारी ग्राहक की क्रेडिट रिपोर्ट में भी दिखाई देने लगती है। लोन ईएमआई और क्रेडिट कार्ड देनदारी का समय से पेमेंट किसी भी व्यक्ति के क्रेडिट स्कोर की कैलकुलेशन में सबसे अधिक वैटेज रखता है। ऐसे में जब आपकी लोन EMI डिफॉल्ट होती है, तो आपका क्रेडिट स्कोर खराब होना तय है। इसके बाद भले ही आप अपनी ईएमआई चुका दें, लेकिन आपके क्रेडिट स्कोर की रिकवरी बहुत धीरे-धीरे होगी।
| कैटेगरी | वैटेज |
| पेमेंट हिस्ट्री | 35% |
| बकाया राशि (कर्ज) | 30% |
| लेंथ ऑफ क्रेडिट हिस्ट्री | 15% |
| नए कर्ज के लिए आवेदन | 10% |
| क्रेडिट मिक्स | 10% |
| क्रेडिट स्कोर रेंज | क्रेडिट रेटिंग |
| 750 से 900 | बहुत बढ़िया |
| 650 से 750 | बढ़िया |
| 550 से 650 | एवरेज |
| 300 से 550 | खराब |
पर्सनल लोन ईएमआई डिफॉल्ट होने पर बैंक आपके पास SMS, ईमेल्स, वाट्सएप, कॉल्स और दूसरे तरीकों से पेमेंट रिमाइंडर भेजते हैं। अगर ग्राहक एक तय समय तक भी इसे नहीं चुकाता है, तो यह केस रिकवरी डिपार्टमेंट या रिकवरी एजेंसी को हैंडओवर कर दिया जाता है। इसके बाद रिकवरी एजेंट्स आपको कॉल करेंगे और वे लोन की रिकवरी के लिए आपके घर या ऑफिस भी आ सकते हैं।
अगर आपके लोन में कोई गारंटर है या कोई सह-आवदेक है, तो उससे लोन चुकाने के लिए कहा जाएगा। अगर ग्राहक लोन नहीं चुकाता है, तो लोन चुकाना गारंटर का कानूनी दायित्व होता है। अगर गारंटर भी भुगतान नहीं करता है, तो क्रेडिट ब्यूरो को इसकी सूचना दी जाएगी। ऐसे में दोनों का क्रेडिट स्कोर खराब हो जाएगा।
कई रिमाइडंर्स के बाद भी अगर ग्राहक लोन नहीं चुकाता है, तो बैंक आपको लीगल नोटिस भिजवा सकता है। अगर लोन में कोई गारंटर है, तो उसके पास भी लीगल नोटिस जाएगा। अगर इस लीगल नोटिस का कोई जवाब नहीं आता है, तो बैंक ग्राहक के खिलाफ रिकवरी केस फाइल कर देगा।
पर्सनल लोन डिफॉल्ट की सूचना CICs के पास पहुंचने के बाद यह इन्फॉर्मेशन वर्षों तक ग्राहक की क्रेडिट रिपोर्ट में दिखाई देती रहती है। ऐसे में व्यक्ति के लिए कोई नया लोन या क्रेडिट कार्ड लेना बहुत मुश्किल हो जाएगा। लोन मिलेगा भी, तो ब्याज दर काफी अधिक होगी। ग्राहक द्वारा जब तक सही कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक क्रेडिट रिपोर्ट से डिफॉल्ट की इन्फॉर्मेशन नहीं हटेगी।