साल 2025 में भारतीय शेयर बाजार को घरेलू निवेशकों ने संभाला है। इन्होंने इस साल 6.80 लाख करोड़ रुपये मार्केट में इन्वेस्ट किये हैं। एसआईपी के जरिए भी बड़ा पैसा मार्केट में आया है।
भारत नए साल में मजबूत आर्थिक स्थिति के साथ प्रवेश कर रहा है। दुनिया के कई बड़े देशों में जहां महंगाई, मंदी, भू-राजनीतिक तनाव जैसी चिंताएं बनी हुई हैं, वहीं भारत की तस्वीर बेहतर है। रेकॉर्ड निचले स्तर पर महंगाई, मौद्रिक नीति पर आरबीआई का सहयोगी रुख, मजबूत घरेलू मांग और कंपनियों की कमाई में सुधार के शुरुआती संकेत… ये मिलकर निवेशकों के भरोसे को मजबूत कर रहे हैं।
एक्सिस बैंक की पूर्व सीईओ शिखा शर्मा ने राजस्थान पत्रिका को बताया कि पिछले दो वर्षों में शेयर बाजार में तेजी इसलिए आई, क्योंकि निवेशक भविष्य की उम्मीदों के दम पर शेयर खरीदते रहे। अब तस्वीर बदल रही है। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाला दौर कमाई आधारित होगा। वित्त वर्ष 2026 से 2028 के बीच निफ्टी की कमाई 14% सालाना दर से बढ़ सकती है। 2026 में मजबूत पोर्टफोलियो वे होंगे, जिनमें गुणवत्ता वाले शेयर, बॉन्ड से स्थिर रिटर्न, बचत का वित्तीयकरण व ऊर्जा परिवर्तन जैसे स्ट्रक्चरल सेक्टर्स में चयनात्मक निवेश का संतुलन होगा।
शर्मा के अनुसार, उच्च गुणवत्ता वाले चुनिंदा मिड-कैप शेयरों में धीरे-धीरे निवेश बढ़ रहा है। आगामी 6 से 24 माह में कमाई का चक्र कंजम्पशन, वित्तीय सेवाओं, कैपेक्स से जुड़े क्षेत्रों व चुनिंदा औद्योगिक क्षेत्रों तक फैलने की उम्मीद है। इसे कम महंगाई, कम दरों और बढ़ी हई तरलता से बूस्ट मिल सकता है।
बाजार का अगला चरण अर्निंग्स पर आधारित रहने की संभावना है। निवेशकों को उन कंपनियों को प्राथमिकता देनी चाहिए, जिनका कैश फ्लो स्पष्ट हो, जिनमें कीमतें तय करने की क्षमता (प्राइसिंग पावर) हो और जिनकी बैलेंस शीट मजबूत हो। खास तौर पर लार्ज कैप शेयरों में।
इस साल घरेलू निवेशकों ने 6.80 लाख करोड़ रुपए निवेश कर बाजार को संभाला। एसआईपी के जरिए आने वाला पैसा बाजार के लिए शॉक एब्जॉर्बर बना। अब उतार-चढ़ाव को निवेश बढ़ाने का मौका देखें, न कि बाहर निकलने का।
शर्मा ने बताया कि मिड-कैप शेयर अब सस्ते नहीं रहे हैं। इनमें निवेश तभी सही है जब कमाई में साफ सुधार दिखे, कर्ज कम हो और कॉरपोरेट गवर्नेस मजबूत हो।
आरबीआई के नरम रुख ने फिक्स्ड इनकम को फिर से भरोसेमंद रिटर्न वाला एसेट बना दिया है। निवेशकों को 5 से 8 साल के सरकारी बॉन्ड और एएए रेटिंग वाले कॉरपोरेट बॉन्ड पर ध्यान देना चाहिए।
अब सोना सिर्फ बचाव का साधन नहीं, बल्कि पोर्टफोलियो को स्थिर रखने वाला एसेट बन चुका है। 5-10% का आवंटन उतार-चढ़ाव और मुद्रा जोखिम को संभालने में मदद कर सकता है।
चांदी में 180% की तेजी के पीछे औद्योगिक मांग की मजबूत कहानी है, लेकिन इसमें उतार- चढ़ाव भी काफी रहता है। इसलिए निवेश सीमित रखें और इसे थीम आधारित निवेश मानें, न कि पोर्टफोलियो का मुख्य आधार।