Women's Economic Status in India: भारतीय पूंजी बाजार में नारी शक्ति की उपस्थिति लगातार बढ़ रही है। शेयर बाजार में महिलाओं की भागीदारी (Women's Economic Status in India) अब नए निवेशकों का एक तिहाई हिस्सा बन चुकी है। आइए जानते है पूरी खबर।
Women's Economic Status in India: भारतीय पूंजी बाजार में नारी शक्ति की उपस्थिति लगातार बढ़ रही है। शेयर बाजार में महिलाओं की भागीदारी (Women's Economic Status in India) अब नए निवेशकों का एक तिहाई हिस्सा बन चुकी है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के आर्थिक अनुसंधान विभाग द्वारा जारी हालिया रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। वित्त वर्ष 2025 में देश में कुल डीमैट खातों की संख्या 15 करोड़ को पार कर गई है, जिसमें महिलाओं का राष्ट्रीय औसत 23.9 प्रतिशत है। यह महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण और निवेश के प्रति बढ़ती जागरूकता का प्रमाण है।
पूंजी बाजार में महिलाओं की भागीदारी (Women's Economic Status in India) में दिल्ली ने शीर्ष स्थान हासिल किया है। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में 29.8 प्रतिशत डीमैट खाते महिलाओं के नाम पर हैं। इसके बाद महाराष्ट्र (27.7 प्रतिशत) और तमिलनाडु (27.5 प्रतिशत) का स्थान है। ये आंकड़े राष्ट्रीय औसत (23.9 प्रतिशत) से काफी ऊपर हैं। वहीं, बिहार (15.4 प्रतिशत), उत्तर प्रदेश (18.2 प्रतिशत) और ओडिशा (19.4 प्रतिशत) जैसे राज्यों में महिलाओं की भागीदारी अभी भी 20 प्रतिशत से कम है। यह क्षेत्रीय असमानता को दर्शाता है और निवेश की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियानों की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
एसबीआई रिपोर्ट के अनुसार, डीमैट खातों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। 2021 से हर साल कम से कम तीन करोड़ नए डीमैट खाते खुल रहे हैं। एसबीआई के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. सौम्या कांति घोष ने कहा, "इस वर्ष नए डीमैट खातों की संख्या चार करोड़ का आंकड़ा पार कर सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि महिलाओं की भागीदारी राष्ट्रीय औसत से अधिक बढ़ी है, जो बचत और निवेश के लिए पूंजी बाजार के प्रति उनकी बढ़ती रुचि को दर्शाता है।
तकनीकी प्रगति, कम ट्रेडिंग लागत, और सूचना तक आसान पहुंच के कारण पूंजी बाजार में 30 वर्ष से कम आयु के निवेशकों की भागीदारी तेजी से बढ़ रही है। वित्त वर्ष 2018 से पंजीकृत नए एसआईपी (सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) में चार गुना बढ़ोतरी हुई है, जो अब 4.8 करोड़ तक पहुंच गई है। भारतीय कंपनियों द्वारा पूंजी बाजारों से जुटाए गए फंड में 2014 की तुलना में दस गुना बढ़ोतरी हुई है। घरेलू वित्तीय बचत में हिस्सेदारी भी 0.2 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 1 प्रतिशत हो गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की बचत दर 30.2 प्रतिशत है, जो वैश्विक औसत 28.2 प्रतिशत से अधिक है। इसके अलावा, वित्तीय समावेशन (फाइनेंशियल इंक्लूजन) में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है। अब 80 प्रतिशत से अधिक वयस्कों के पास फॉर्मल फाइनेंशियल अकाउंट हैं, जबकि 2011 में यह आंकड़ा केवल 50 प्रतिशत था।
महिलाओं की बढ़ती भागीदारी (Women's Economic Status in India) न केवल उनकी वित्तीय स्वतंत्रता को दर्शाती है, बल्कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था में स्थिरता और समृद्धि का संकेत भी है। यह बदलाव दर्शाता है कि महिलाएं (Women's Economic Status in India) अब केवल पारंपरिक बचत साधनों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि पूंजी बाजार में सक्रिय भागीदारी निभा रही हैं।