चार माह पहले अपने परिवार से बिछड़ी एक बेटी को सुरक्षित देखभाल देने के बाद सकुशल उसके घर तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई।
सेवा और करुणा जब इंसान के जीवन का ध्येय बन जाए तो चमत्कार जैसी घटनाएं भी संभव हो जाती हैं। छतरपुर का निर्वाना फाउण्डेशन एक बार फिर इंसानियत का ऐसा उदाहरण बनकर सामने आया है, जिसने चार माह पहले अपने परिवार से बिछड़ी एक बेटी को सुरक्षित देखभाल देने के बाद सकुशल उसके घर तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई।
करीब चार माह पूर्व महाराजपुर थाना क्षेत्र के ग्राम टटम में पुलिस को एक युवती लावारिस हालत में मिली थी। मानसिक स्थिति अस्वस्थ होने के कारण वह किसी से संवाद नहीं कर पा रही थी। पुलिस ने उसे निर्वाना फाउण्डेशन के हवाले किया, जहां संस्था के संचालकों ने उसे नया जीवन दिया। सबसे पहले उसकी साफ-सफाई कर कपड़े बदलवाए गए, भोजन कराया गया और मानवीय संवेदनाओं के साथ देखभाल शुरू हुई।
धीरे-धीरे महिला ने तेलगु भाषा में कुछ शब्द बोलने शुरू किए। तकनीकी मदद लेकर उसकी बातों को समझा गया तो पता चला कि उसका नाम शालिनी उर्फ सनीता है, और वह तेलंगाना राज्य के वारंगल जिले की रहने वाली है। उसने अपने भाई का मोबाइल नंबर भी बताया। जब फाउण्डेशन ने उस नंबर पर कॉल किया तो परिवार वालों को जैसे खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। दरअसल, 10 मई 2025 को शालिनी अपनी मां के साथ चर्च गई थी, जहां भीड़भाड़ में वह बिछड़ गई और घर नहीं लौट पाई। परिवार ने वारंगल जिले के धर्मशाला थाना में गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी।
समाचार पाकर तेलंगाना पुलिस हरकत में आई और वारंगल से हेड कांस्टेबल व महिला आरक्षक छतरपुर पहुंचे। निर्वाना फाउण्डेशन ने भावुक पल में शालिनी को तिलक, आरती और दुलार के साथ पुलिस को सुपुर्द कर दिया, ताकि दस्तावेजी औपचारिकताओं के बाद वह अपने परिवार से मिल सके। वारंगल पुलिस के अधिकारियों ने निर्वाना फाउण्डेशन के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्था जिस संवेदनशीलता से गरीब, बेसहारा और अनाथ लोगों की सेवा कर रही है, वह समाज के लिए प्रेरणास्रोत है।