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औद्योगिक विकास पर मानव संसाधन संकट की चोट, उद्योग एवं व्यापार केंद्र में जीएम सहित 13 पद खाली, योजनाएं ठप, उद्यमी हताश

संयुक्त संचालक के पास सागर संभाग के पांच जिलों का प्रभार है, जिसके कारण वे छतरपुर महीने में केवल एक दिन आते हैं। इसका सीधा असर यह है कि औद्योगिक क्षेत्रों की समस्याओं पर न सुनवाई हो पा रही है और न ही समाधान।

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जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र

जिले के औद्योगिक विकास को जमीन पर उतारने वाली सबसे महत्वपूर्ण इकाई जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र (डीआईसी) इस समय गहरे मानव संसाधन संकट से जूझ रहा है। यहां महाप्रबंधक (जीएम) सहित कुल 17 स्वीकृत पदों में से 13 पद खाली पड़े हैं। नतीजा यह कि औद्योगिक गतिविधियां लगभग ठप पड़ गई हैं और उद्यमी अपनी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने तक के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

योजनाएं कागजों में कैद

डीआईसी में दिनों-दिन बढ़ते सन्नाटे ने विकास योजनाओं को कागजो में कैद कर दिया है। संयुक्त संचालक (जे.डी.) टीआर रावत के पास सागर संभाग के पांच जिलों का प्रभार है, जिसके कारण वे छतरपुर महीने में केवल एक दिन आते हैं। इसका सीधा असर यह है कि औद्योगिक क्षेत्रों की समस्याओं पर न सुनवाई हो पा रही है और न ही समाधान। उद्यमियों का कहना है कि सागर में हुए सीएम कॉन्क्लेव के दौरान मिले निवेश प्रस्ताव भी अब फाइलों में अटके हुए हैं। कई प्रोजेक्ट का वर्किंग प्रोसेस शुरू न होने से निवेशक निराश होने लगे हैं।

रिक्त पदों की स्थिति

पद             स्वीकृत कार्यरत रिक्त

महाप्रबंधक 1 0 1

प्रबंधक 3 0 3

सहायक महाप्रबंधक 6 1 5

सहायक ग्रेड-1 1 0 1

सहायक वर्ग-2 2 0 2

सहायक ग्रेड-3 4 3 1

योग             17 4 13

यानी कि केवल चार कर्मचारी पूरे जिले की औद्योगिक गतिविधियों का बोझ उठाने को मजबूर हैं। योजनाओं का क्रियान्वयन, उद्यमियों की शिकायतों का निपटान, औद्योगिक क्षेत्रों का निरीक्षण, नई परियोजनाओं की मॉनिटरिंग—सभी कार्य गंभीर रूप से प्रभावित हैं।

योजनाओं के क्रियांवयन पर पड़ रहा असर

कर्मियों की भारी कमी का सीधा असर पीएम इम्प्लॉयमेंट जेनरेशन प्रोग्राम, मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना और स्टार्टअप/एमएसएमई प्रमोशन जैसी योजनाओं पर भी पड़ा है। उद्यमी लगातार कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन फाइलें आगे नहीं बढ़ पा रही हैं। प्रभारी महाप्रबंधक द्वारा विंध्याचल भवन, भोपाल स्थित उद्योग संचालनालय को रिक्त पदों की जानकारी दो माह पहले भेजी गई थी, लेकिन अब तक किसी प्रकार की नियुक्ति नहीं हुई है। इससे यह स्पष्ट है कि नीति-स्तर पर भी गंभीरता की कमी है।

सवाल यही ऐसे में उद्योग कैसे बढ़े

स्थानीय उद्योग संगठनों का कहना है कि फैक्ट्री इंस्पेक्शन देर से हो रहे हैं, नए उद्यमों को लोन/सब्सिडी अनुमोदन में देरी है और औद्योगिक क्षेत्रों की मूलभूत समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। कई उद्यमियों ने सवाल उठाया है जब योजनाएं जमीन पर उतर ही नहीं रहीं, तो जिले में उद्योग, निवेश और रोजगार आखिर कैसे बढ़ेंगे?संयुक्त संचालक बोले शासन को भेजे पत्रसंयुक्त संचालक टीआर रावत ने स्थिति स्वीकार करते हुए कहा—मेरे पास सागर, पन्ना, रीवा समेत कई जिलों का प्रभार है, ऐसे में रोजाना छतरपुर आना संभव नहीं। शासन को कई बार पत्र भेजा गया है, लेकिन नियमित पोस्टिंग न होने से कार्य प्रभावित हो रहे हैं।