छतरपुर

‘प्रेमानंद महाराज’ के गले लगकर भावुक हो गए ‘पंडित धीरेंद्र शास्त्री’, जानें क्या है वजह?

Dhirendra Shastri meets Premanand Maharaj: बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने मंगलवार को प्रेमानंद महाराज से मुलाकात कर उनका आशीर्वाद लिया।

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Oct 14, 2025

Dhirendra Shastri meets Premanand Maharaj: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री मंगलवार को केलीकुंज आश्रम पहुंचे। यहां पर उन्होंने प्रेमानंद महाराज से मुलाकात कर उनके स्वास्थ्य के बारे में जाना। संत प्रेमानंद महाराज ने कहा कि हमारा शरीर बीमार है। इसलिए केवल हृदय से बात कर सकते हैं। इस पर धीरेंद्र शास्त्री ने कहा- ये तो आपकी लीला है।

मुंबई के मायाजाल में फंस गए थे धीरेंद्र शास्त्री

पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने प्रेमानंद महाराज को बताया कि बाबा पहले हम मुंबई में थे और मायाजाल में फंसे थे। इस पर संत प्रेमानंद महाराज जी ने कहा कि भगवान के पार्षद तो माया से मुक्त करने जाते हैं। माया जाल में घुसकर जीवों को माया से मुक्त करते हैं। आप भगवान के पार्षद हैं। हमारे ठाकुर जी के निज जन हैं। जहां भी जाएं वहां भगवत नाम, भगवत गुण महिमा की गर्जना करें तो उससे माया भाग जाती है।

आगे प्रेमानंद महाराज ने कहा कि भगवान के नाम गुण में अपार सामर्थ्य है। जिसने भी भगवान के नाम और गुणों का आश्रय ले लिया, वो पार हो गया। अन्यथा कोई ज्ञान-विज्ञान इस दुरंत माया से पार पा सके, यह असंभव है। माया भगवान की दासी है। जीव तो भगवान के नाम, गुण, लीला और धाम का आश्रय लेकर उन्हीं के सहारे से निकल जाता है। ये मार्ग देती है, निकल जाओ। जहां थोड़ा सा अहम हुआ तो प्रश्नवाचक चिन्ह लगा देती है।

दिल्ली से वृंदावन तक सनातन यात्रा निकालेंगे धीरेंद्र शास्त्री

प्रेमानंद जी महाराज ने धीरेंद्र शास्त्री से पूछा कि वृंदावन में कितने दिन रहोगे। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, बाबा कल तक रुकेंगे। सनातन एकता पदयात्रा को लेकर एक बैठक है। दिल्ली से वृंदावन के लिए पैदल सनातन यात्रा करेंगे। इस पर संत प्रेमानंद महाराज ने कहा- सनातन ब्रह्म है। सनातन वायु है। सनातन सूर्य है। सनातन आकाश है। सनातन भूमि है। एक दिन सभी को इससे जुड़ना होगा।

धरती में रहना यह सनातन में ही रहना है- प्रेमानंद महाराज

महाराज जी ने कहा कि बिना सनातन के किसी की सत्ता ही नहीं है। सनातन धर्म है। कहीं भी कोई भी हो उसको जुड़ना ही पड़ेगा, क्योंकि वायु से जुड़ना, सूर्य के प्रकाश से जीना, आकाश के नीचे रहना, धरती में रहना यह सनातन में ही रहना है। यह सब सनातन ही है। ब्रह्म स्वरूप सनातन है। सनातन को किसी व्यक्ति ने स्थापित नहीं किया। ये स्वयंभू है। जैसे वेद स्वयंभू है तो वेद भी सनातन है। ब्रह्म भी सनातन है।

'हमारा शरीर बीमार है'

प्रेमानंद महाराज ने कहा कि हमारा शरीर बीमार है। इसलिए केवल हृदय से बात कर सकते हैं। इस पर बागेश्वर बाबा ने कहा, ये तो आपकी लीला है। आपकी तरह हम भी ऐसे ही कहते रहते हैं। हमारा भी बुढ़ापे का शरीर है। आपको कोई बीमारी नहीं है। आपकी तो ये लीला है। महापुरुष तो भगवत स्वरूप हैं, ये सब लीला करते हैं।

"बस आपके दर्शन हो गए खूब आनंद मिल गया। आप तो यात्रा में ही हैं। हमारे दादा गुरु जी निर्मोह अखाड़ा केशव अंतिम समय में हमें ये पोटली दे गए। संपत्ति की इसी पोटली के दम पर हम संतों तक पहुंचे। बस आप महापुरुषों की कृपा बनी हुई है। मति ठीक बनी रहे।"

Updated on:
14 Oct 2025 04:13 pm
Published on:
14 Oct 2025 04:11 pm
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