जिले के 4 लाख 17 हजार से अधिक विद्यार्थियों में से सिर्फ 2.63 लाख छात्रों की ही आईडी अब तक बन पाई है, जबकि 1 लाख 53 हजार 710 छात्र अब भी इस डिजिटल पहचान से वंचित हैं।
छतरपुर. देशभर में छात्रों की डिजिटल शैक्षणिक पहचान के रूप में पेश की गई अपार आईडी छतरपुर जिले में तकनीकी उलझनों और प्रशासनिक ढिलाई का शिकार हो गई है। जिले के 4 लाख 17 हजार से अधिक विद्यार्थियों में से सिर्फ 2.63 लाख छात्रों की ही आईडी अब तक बन पाई है, जबकि 1 लाख 53 हजार 710 छात्र अब भी इस डिजिटल पहचान से वंचित हैं।
वन नेशन वन स्टूडेंट की सोच के तहत अपार आईडी हर छात्र की एक स्थायी अकादमिक पहचान बनेगी। इसमें प्राइमरी से लेकर उच्चतर शिक्षा तक की पूरी जानकारी डिजिटली संग्रहित की जाती है। लेकिन जिले में धीमी गति और पोर्टल की तकनीकी दिक्कतों के कारण यह महत्त्वाकांक्षी योजना अधर में लटक गई है।
जिन छात्रों की आईडी नहीं बनी, उनमें से बड़ी संख्या में विद्यार्थियों के आधार कार्ड में नाम, जन्मतिथि या पिता के नाम में त्रुटियां हैं, जिससे वह समग्र आईडी से मेल नहीं खा रही। जिले में करीब 50 हजार छात्रों के आधार और समग्र आईडी मिसमैच के चलते फॉर्म पेंडिंग हैं।
जहां अन्य जिलों में यह कार्य लगभग पूर्णता की ओर है, वहीं छतरपुर अभी भी पीछे चल रहा है। शिक्षा विभाग के अनुसार ईशानगर ब्लॉक की स्थिति सबसे खराब है, जहां 60 प्रतिशत से भी कम छात्रों की आईडी बनी है। अपार आईडी अब स्कूल, कॉलेज या किसी भी शैक्षणिक संस्था में प्रवेश के लिए अनिवार्य दस्तावेज बन गई है। ऐसे में जिन छात्रों की आईडी नहीं बनेगी, उन्हें आगामी शैक्षणिक सत्र में नामांकन और छात्रवृत्ति जैसी सुविधाओं में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
पहले भी स्कूलों को पत्र भेजे गए थे, अब दोबारा पत्राचार किया जाएगा। लागतार फॉलोअप करके कार्य में तेजी लाई जाएगी।
आरपी प्रजापति, जिला शिक्षा अधिकारी छतरपुर