छतरपुर

बारिश ने मचाई तबाही, 30 से ज्यादा मकान ढहे..

mp news: लगातार बारिश से ग्रामीण इलाकों में ढ़ाई दर्जन से अधिक कच्चे मकान ढहे, पीड़ित खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर...।

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Jul 19, 2025
छतरपुर में बारिश से कई मकान गिरे। (फोटो सोर्स- पत्रिका)

mp news: मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में बीते दिन हुई मूसलाधार बारिश ने ग्रामीण क्षेत्रों में तबाही मचा दी है। जिले के कई गांवों में बारिश और जलभराव के कारण कच्चे मकान गिर गए हैं जिसके कारण इन मकानों में रहने वाले परिवार अब खुले आसमान के नीचे जिंदगी बिताने के लिए मजबूर हैं। पीड़ित अब शासन-प्रशासन की तरफ से मदद मिलने की आस लगाए हुए हैं। वहीं प्रशासन जल्द ही नुकसान का आंकलन कराया सहायता देने की बात कह रहा है।

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बारिश के साथ आई 'बर्बादी'

छतरपुर जिले की नौगांव तहसील के अंतर्गत आने वाले सरसेड़ गांव में दो-तीन दिनों से लगातार हो रही बारिश ने कई परिवारों की नींद उड़ा दी। कई घरों की छतें और दीवारें गिर पड़ीं। पंचू कुशवाहा, बालादीन भदोरिया, फूलचंद्र भदोरिया, कमलेश भदोरिया, कालीचरण कोरी और जितेंद्र सिंह ने बताया कि पहले उनके मकानों से पानी टपकना शुरू हुआ, लेकिन शुक्रवार की सुबह भारी बारिश के बीच उनके मकान की छत और दीवारें ढह गईं। परेथा गांव में जगभान अहिरवार, फूलवती राजपूत, हजारी और रामकृपाल के कच्चे मकान गिर गए। बोदी गांव के चतुर्भुज पटेल के मकान के गिरने से वह घायल हो गए। इसी तरह गलान गांव में मूलचंद यादव का कच्चा मकान भी रात के समय ढह गया। पपटुआ गांव में हरिश्चंद्र विश्वकर्मा का मकान और कुकरेल गांव में दुग्गन पाल का मकान भी बारिश की मार से गिर गया।

महाराजपुर तहसील में दो दर्जन मकान गिरे

महाराजपुर तहसील क्षेत्र के ग्राम गौरारी की गलियां इन दिनों नहरों में तब्दील हो चुकी हैं। लगातार हो रही बारिश के कारण गलियों और घरों में इतना पानी भर गया कि करीब दो दर्जन कच्चे मकान ढह गए। कई घरों में पानी घुसने से वहां रखा सामान पूरी तरह बर्बाद हो गया और मवेशियों के लिए चारा व ठिकाने की समस्या खड़ी हो गई। गांव के पीड़ित दीनदयाल, भगत बरार, हरिश्चंद्र, गौरी शंकर बरार, आसाराम कुशवाहा, राजेंद्र सिंह यादव, सीताराम यादव, सीमा पाल, सरला पाल, भूपेंद्र यादव और कंदीलाल ने बताया कि उनके मकान पूरी तरह से ध्वस्त हो गए हैं। खाने-पीने का सामान, बर्तन और अनाज तक पानी में बह या सड़ गया है। पीड़ित परिवार अब खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं।

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Published on:
19 Jul 2025 09:22 pm
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