छतरपुर

पीएम आवास की धीमी चाल : 4210 में से महज 30 को मंजूरी, चार डीपीआर में 311 लोगों ने नहीं बनाए घर

नगर पालिका ने डीपीआर के तहत 6075 लोगों को लाभ दिया है। इनमें से कई हितग्राहियों ने अपने मकान का निर्माण कार्य अधूरा छोड़ दिया और अधिकारियों की मिलीभगत से राशि पूरी निकाल ली है।

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Nov 25, 2025
नगर पालिका

पीएम आवास योजना 2.0 का लाभ शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को नहीं मिल पा रहा है और योजना की रफ्तार इतनी धीमी है कि 4210 चयनित लोगों में महज 30 नामों को मंजूरी दी गई है। साथ ही जिन लोगों को मंजूरी मिली है उनके मकान अभी पूरे नहीं हो पाए हैं। इसके अलावा, नगर पालिका ने डीपीआर के तहत 6075 लोगों को लाभ दिया है। इनमें से कई हितग्राहियों ने अपने मकान का निर्माण कार्य अधूरा छोड़ दिया और अधिकारियों की मिलीभगत से राशि पूरी निकाल ली है।

चार डीपीआर के तहत 6,075 लोगों को लाभ

नगर पालिका ने जिन चार डीपीआर के तहत 6,075 लोगों को लाभ दिया, उनमें प्रथम डीपीआर में 1556, द्वितीय में 2100, तृतीय में 1522 और चतुर्थ डीपीआर में 878 लाभार्थी शामिल थे। इनमें से प्रथम डीपीआर में 13, द्वितीय में 120,तृतीय में 140 और चतुर्थ में 38 ऐसे हितग्राही पाए गए जिन्होंने या तो मकान नहीं बनाया या निर्माण अधूरा छोड़ दिया। इन 311 लोगों में से 13 के खिलाफ कुर्की की कार्रवाई का प्रस्ताव भी बनाया गया, लेकिन अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।

महज 30 लोग हुए लाभांवित

नगर पालिका ने प्रधानमंत्री आवास योजना-2.0 के तहत 4210 नए आवेदनों का प्रस्ताव शासन को भेजा है। इनमें 3600 बीएलसी योजना, 510 होम लोन ब्याज सब्सिडी योजना और 100 किराए वाले मकानों की योजना के आवेदन शामिल हैं। लेकिन इन सभी में से अब तक सिर्फ 27 लाभार्थियों को ही आवास स्वीकृत किया गया है। यह योजना की धीमी प्रगति और सिस्टम की उदासीनता को उजागर करता है। कई पात्र लोगों के आवेदन वर्षों से अटके हुए हैं, और कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पा रही कि उन्हें लाभ कब मिलेगा।

200 कल्याणी महिलाओं की सूची जारी

योजना का उद्देश्य वंचित वर्गों को प्राथमिकता देना है, लेकिन हकीकत इसके उलट है। वार्ड क्रमांक 1 से 10 तक की सूची में कुल 200 स्वीकृत आवेदनों में सिर्फ 10 कल्याणी (विधवा) महिलाओं को ही शामिल किया गया है। यह स्थिति तब है जब प्रत्येक वार्ड में 40 से अधिक कल्याणी ऐसी हैं जो आवास की पात्रता रखती हैं और जिनके पास आज भी पक्की छत नहीं है। इनमें से कई महिलाएं अपने पति की मृत्यु के बाद पूरी तरह बेसहारा हैं, लेकिन उन्हें योजना में उचित प्राथमिकता नहीं दी गई है।

Published on:
25 Nov 2025 10:42 am
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