एक्सीलेंस स्कूल क्रमांक‑01 में बच्चों को खगोलीय ज्ञान देने के लिए 25 लाख रुपए की लागत से तारामंडल सिटी बनाई गई थी। लेकिन उद्घाटन के बाद से आज तक वहां बच्चों के लिए कोई कक्षा ही नहीं लगाई गई। स्कूल प्रबंधन का कहना है कि हमारे यहां यह कॉन्सेप्ट बंद हो चुका है
देश के कई ऐसे वैज्ञानिक हैं जिन्होंने अंतरिक्ष की दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है और वैश्विक स्तर पर अपनी अनूठी छाप छोड़ी है। कल्पना चावला, विक्रम साराभाई, सतीश धवन, एपीजे अब्दुल कलाम, के. राधाकृष्णन और उडुपी रामचंद्र राव जैसे अनगिनत भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने शिक्षा के बल पर यह मुकाम हासिल किया। लेकिन अफसोस की बात है कि छतरपुर में बच्चों को खगोलशास्त्र और विज्ञान की दृष्टि से मजबूत बनाने के लिए शुरू किया गया कॉन्सेप्ट अब बंद हो गया है।
गवर्नमेंट एक्सीलेंस स्कूल क्रमांक‑01 में बच्चों को खगोलीय ज्ञान देने के लिए 25 लाख रुपए की लागत से तारामंडल सिटी बनाई गई थी। लेकिन उद्घाटन के बाद से आज तक वहां बच्चों के लिए कोई कक्षा ही नहीं लगाई गई। स्कूल प्रबंधन का कहना है कि हमारे यहां यह कॉन्सेप्ट बंद हो चुका है, जबकि भवन अब पूरी तरह जर्जर हो चुका है।
शहर के शासकीय उत्कृष्ट स्कूल क्रमांक‑01 के खेल मैदान में 2012-13 में सांसद डॉ. वीरेंद्र कुमार ने सांसद निधि से 18.02 लाख रुपए स्वीकृत किए थे। अन्य उपकरणों की लागत मिलाकर कुल 25 लाख रुपए में तारामंडल सिटी का निर्माण कराया गया। वर्ष 2013 में इस तारामंडल भवन का भूमिपूजन सांसद डॉ. वीरेंद्र कुमार द्वारा किया गया। इसके निर्माण के लिए छतरपुर नगर पालिका को एजेंसी बनाया गया। निर्माण एजेंसी ने भवन का टेंडर निकालकर चार साल में इसे तैयार किया और एक्सीलेंस स्कूल प्रबंधन को सौंप दिया। 1 अप्रेल 2017 को केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय के मुख्य आतिथ्य और सांसद डॉ. वीरेंद्र कुमार की अध्यक्षता में समारोहपूर्वक इसका लोकार्पण हुआ।
पच्चीस लाख की लागत से बना यह भवन केवल तीन साल ही उपयोग में रहा और फिर कॉन्सेप्ट बंद कर दिया गया। स्कूल प्रबंधन का कहना है कि कॉन्सेप्ट खत्म हुए चार साल हो चुके हैं। अब यह भवन पूरी तरह से जर्जर हो गया है।खेलो इंडिया के लिए सौंपा, पर उपयोग शून्यतारामंडल भवन को स्कूल ने खेलो इंडिया के अंतर्गत जूडो हॉल में बदलकर स्मॉल सेंटर का नाम दे दिया है। लेकिन इस भवन में न तो कोई व्यवस्था है और न ही जूडो खेलने वाले खिलाड़ी। स्कूल में इस साल कोई भी छात्र खेलो इंडिया के लिए नामांकित नहीं है, ऐसे में यह भवन किस काम में आ रहा है, यह सवाल बना हुआ है।
कक्षा दसवीं के छात्र लवकुश साहू ने बताया, मुझे दो वर्ष हो गए यहां पढ़ते हुए, लेकिन आज तक मुझे न तो तारामंडल कक्ष की जानकारी थी और न ही जूडो हॉल के बारे में। इसी प्रकार छात्र रोहन साहू ने भी बताया कि उसने इस भवन के बारे में कभी कुछ नहीं सुना।
तारामंडल से जुड़ा कॉन्सेप्ट चार वर्ष पहले बंद कर दिया गया है। उसके लिए बने भवन में अब खेलो इंडिया का स्मॉल सेंटर संचालित है जिसमें जूडो हॉल बना है। भवन की जर्जर स्थिति का निरीक्षण कराया जाएगा।
संतोष कुमार शर्मा, प्रिंसिपल, एक्सीलेंस स्कूल क्रमांक‑01