छतरपुर

हूटर-फ्लैश लाइट लगाने के लिए आरटीओ की परमीशन विंड स्क्रीन पर चस्पा करने का नियम. लेकिन कोई नहीं ले रहा अनुमति

आरटीओ से लिखित में आवेदन कर परमीशन लेने का प्रावधान मोटर व्हीकल एक्ट में है। परमीशन की कॉपी विंड स्क्रीन पर चस्पा होना भी अनिवार्य है, लेकिन जिले में एक भी वाहन पर के लिए दो साल में न तो परमीशन ली गई, न ही किसी वाहन पर परमीशन की कॉपी चस्पा की गई है

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Apr 29, 2025
हूटर लगे वाहन

जिले में फ्लैश लाइट और हूटर के दुरुपयोग के मामलों में कोई कमी नहीं आ रही है। खासतौर पर हूटर व फ्लैश लाइट उपयोग करने के लिए अधिकृत अफसर भी नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। पात्र अफसर को इसके लिए आरटीओ से लिखित में आवेदन कर परमीशन लेने का प्रावधान मोटर व्हीकल एक्ट में है। परमीशन की कॉपी विंड स्क्रीन पर चस्पा होना भी अनिवार्य है, लेकिन जिले में एक भी वाहन पर के लिए दो साल में न तो परमीशन ली गई, न ही किसी वाहन पर परमीशन की कॉपी चस्पा की गई है। इसके बावजूद जिम्मेदार अफसर इस पर कार्रवाई से बच रहे हैं।

व्हीआईपी कल्चर खत्म नहीं हो रहा

राज्य और केंद्र सरकार द्वारा वीआईपी कल्चर को खत्म करने के लिए उठाए गए कदमों के बावजूद, छतरपुर में कई अपात्र अधिकारी और जनप्रतिनिधि इन उपकरणों का खुलेआम दुरुपयोग कर रहे हैं। यह स्थिति इस बात को दर्शाती है कि अधिकारियों का वीआईपी कल्चर से मोहभंग नहीं हो रहा है, हालांकि पीएम मोदी ने लाल, पीली और नीली बत्तियों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था।

लगातार कार्रवाई नहीं हो रही

आरटीओ द्वारा जारी की गई जानकारी के अनुसार, जिले में फ्लैशर लाइट (बहुरंगी बत्तियां) और हूटर लगाने के लिए अब तक किसी भी अधिकारी ने अनुमति नहीं ली है। परिवहन विभाग की अनुमति के बिना वाहन की विंड स्क्रीन पर इन उपकरणों को लगाना पूरी तरह से अवैध है। यह स्थिति इसलिए और गंभीर हो जाती है क्योंकि प्रदेश में फ्लैशर और हूटर के दुरुपयोग पर कार्रवाई करने के लिए ट्रांसपोर्ट कमिश्नर और पीएचक्यू के आदेशों के बावजूद परिवहन विभाग और पुलिस की टीम इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है।

निजी वाहनों तक में लगा रखे है हूटर-फ्लैश लाइट

छतरपुर में कई अपात्र अफसर, जैसे कि फॉरेस्ट एसडीओ, बिजली कंपनी के कार्यपालन अभियंता, पुलिस के अधिकारी और कर्मचारी, बिना किसी अनुमति के अपने निजी वाहनों में फ्लैशर और हूटर का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन अफसरों के लिए नियमों का कोई असर नहीं हो रहा है, और न ही परिवहन विभाग द्वारा अब तक कोई ठोस कार्रवाई की गई है। पिछले दो सालों में न तो किसी अधिकारी की बत्ती बुझाई गई है और न ही इस पर कोई जांच की गई है। इसके चलते जिलेभर में आम नागरिकों को इन अधिकारियों द्वारा मनमानी और सरकारी संसाधनों का गलत इस्तेमाल देखना पड़ रहा है।

नियमों की अवहेलना और कार्रवाई का अभाव

मोटरयान व्हीकल अधिनियम 1988 में संशोधन करते हुए नए नियमों के तहत केवल वे अधिकारी जिनके पास आरटीओ से अनुमोदन प्रमाण-पत्र है, वह ड्यूटी के दौरान ही फ्लैशर बत्ती और हूटर का प्रयोग कर सकते हैं। इसी तरह, एंबुलेंस चालक और पुलिस अधिकारी भी अपनी ड्यूटी के दौरान ही इन उपकरणों का उपयोग कर सकते हैं, बशर्ते कि उनके पास वैध अनुमति हो। बावजूद इसके, छतरपुर में नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है।

चेक प्वाइंट बनाकर होगी जांच

मधु सिंह एआरटीओ छतरपुर ने बताया कि अब चेक प्वाइंट पर जांच कराकर अपात्र अधिकारियों और नेताओं द्वारा फ्लैशर बत्ती और हूटर के दुरुपयोग पर कार्रवाई की जाएगी। यदि बगैर अनुमति के हूटर और फ्लैशर का प्रयोग किया जाता है, तो संबंधित अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह कदम एक प्रयास है ताकि जिले में नियमों का पालन हो और वीआईपी कल्चर का अंत हो सके।

फ्लैशर और हूटर के प्रयोग के नियम

1. आरटीओ से अनुमति: फ्लैशर बत्ती और हूटर का उपयोग करने के लिए पात्र अधिकारियों को आरटीओ से अनुमति प्राप्त करनी अनिवार्य है।

2. दिखाना होगा- परमीशन को गाड़ी की विंड स्क्रीन पर सामने की ओर चस्पा करने का नियम है।

3. उपयोग की सीमा: इन उपकरणों का प्रयोग केवल ड्यूटी के दौरान और अधिकार क्षेत्र में ही किया जा सकता है।

4. सख्त नियम: मोटरयान अधिनियम 1988 के संशोधन के अनुसार, केवल एंबुलेंस, पुलिस, सेना और कार्यपालिक मजिस्ट्रेट को ही इनका उपयोग करने की अनुमति है और वह भी विशेष परिस्थितियों में ही।

Published on:
29 Apr 2025 10:11 am
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