- महिला बाल विकास विभाग ने राज्य शासन को भेजा था प्रस्ताव - तीन करोड़ के बजट से दी एकमुश्त राशि
Corona Victim। तीन साल पहले कोरोना संक्रमण की याद आते ही शरीर में सिहरन सी दौड़ जाती है। उस दौर में जिन बच्चों ने अपने माता-पिता को खोया, उनकी देर से ही सहीं, सरकार ने उनकी सुधि ली है। हाल ही में पूरे छिंदवाड़ा/पांढुर्ना जिले से 940 अनाथ बच्चों को प्रतिमाह 4-4 हजार रुपए पेंशन स्वीकृत की गई है। इस पेंशन राशि का एकमुश्त भुगतान हाल में में आए तीन करोड़ रुपए के बजट से किया गया है।
महिला बाल विकास विभाग की जानकारी के मुताबिक प्रदेश सरकार की ओर से वर्ष 2021-22 में मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल कल्याण योजना लागू की गई थी। उस समय पूरे छिंदवाड़ा-पांढुर्ना जिले में कराए गए सर्वेक्षण में 1500 बच्चों के नाम सामने आए थे, जिनके माता-पिता कोरोना संक्रमण से चल बसे थे। इसके अलावा वे बच्चे भी सर्वेक्षण में शामिल किए गए थे, जिन्होंने माता-पिता में से कोई एक खोया था। इन सभी बच्चों में से सर्वाधिक जरूरत वाले 100 बच्चों को तत्काल पेंशन समेत अन्य योजनाओं का लाभ दिया गया था। इसके बाद शेष बच्चों का मामला लम्बित था। उसके बाद इन्हें योजना का लाभ दिलाने के विभागीय प्रयास जारी रहे।इसका सुखद नतीजा यह रहा कि हाल ही में राज्य शासन ने इनमें से 840 और बच्चों की पेंशन भी मंजूर कर ली। इसके लिए तीन करोड़ रुपए का बजट मिला। इन सभी को एकमुश्त 40 हजार रुपए का भुगतान कराया गया।
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में जिले से पांच हजार से अधिक लोगों की मौत हुई थी। उस दौर में ये हाल था कि सरकारी के अलावा निजी अस्पतालों में पीडि़तों को बेड नहीं मिलते थे। जिला अस्पताल से हर दिन 50 मृतकों के शव निकलते थे। मोक्षधाम के अलावा तीन और स्थानों पर मृतकों के शवों के दाह संस्कार का इंतजाम किया गया था। हजारों परिवारों ने अपने मुखियाओं को खो दिया था। इससे हजारों बच्चे अनाथ हो गए थे। उस समय की मार्मिक तस्वीर और घटना को याद कर आज भी लोग सिहर उठते हैं।
इनका कहना है
कोरोना से प्रभावित 940 बच्चों को 4 हजार रुपए प्रतिमाह की पेंशन मंजूर हो गई है। इसका प्रस्ताव कोरोना संक्रमण के समय राज्य शासन को भेजा गया था। इसका एकमुश्त भुगतान कराया गया। आगे भी उन्हें इसका लाभ मिलता रहेगा।
मोनिका बिसेन, महिला बाल विकास अधिकारी