कॉलेज का भवन छह साल बाद भी नहीं बन पाया है। इसकी शैक्षणिक स्टॉफ की प्रक्रिया भी धीमी गति से चल रही है। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में घोषित कॉलेज भवन को वर्तमान सरकार पूरा नहीं कर पा रही है।
उद्यानिकी कॉलेज का भवन छह साल बाद भी नहीं बन पाया है। इसकी शैक्षणिक स्टॉफ की प्रक्रिया भी धीमी गति से चल रही है। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में घोषित कॉलेज भवन को वर्तमान सरकार पूरा नहीं कर पा रही है।
देखा जाए तो वर्ष 2018 में हार्टिकल्चर(उद्यानिकी) कॉलेज की घोषणा तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के कार्यकाल में हुई थी। जमीन और बजट भी स्वीकृत किया था। डीपीआर भी बनी, लेकिन भवन का कार्य अब तक शुरु हो नहीं पाया। वर्ष 2019 से आंचलिक कृषि अनुसंधान केन्द्र, चंदनगांव में ही सीमित संसाधन में जवाहर लाल नेहरू कृषि, विश्वविद्यालय, जबलपुर से संबद्ध हार्टिकल्चर कॉलेज में स्नातक(बीएससी हार्टिकल्चर) की कक्षाएं संचालित हो रही हैं। दूसरी तरफ वर्ष 2019 में छिंदवाड़ा में एग्रीकल्चर कॉलेज के लिए जमीन का आवंटन एवं बजट तो स्वीकृत हुआ, लेकिन अब तक न ही कक्षाएं शुरु हो पाई और न ही आगे की प्रक्रिया बढ़ पाई।
बड़ी बात यह है कि जिले में हार्टिकल्चर कॉलेज खोलने के लिए मोहखेड़ के खुनाझिर कला में 110 एकड़ जमीन और 134.45 करोड़ रुपए स्वीकृत भी किए थे। इसके पश्चात 31 दिसंबर 2018 को तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पहली बार छिंदवाड़ा आगमन पर पोलाग्राउंड में हार्टिकल्चर कॉलेज का शिलान्यास किया और छिंदवाड़ा में एग्रीकल्चर कॉलेज खोलने की घोषणा की। एग्रीकल्चर कॉलेज के लिए भी खुनाझिर कला में 43.983(लगभग 120 एकड़)हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई थी। इसके अलावा कॉलेज के निर्माण के लिए 134.44 करोड़ रुपए की राशि भी स्वीकृत की गई थी। दोनों ही घोषणाएं एक साल के अंतराल में हुई, लेकिन अब तक भवन बनाने का कार्य शुरु नहीं हो पाया। शैक्षणिक स्टॉफ भी पूरा नहीं दिया गया है।
राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय की स्थापना 2019 में की गई। उस समय प्रदेश् में कमलनाथ की सरकार थी। विश्वविद्यालय के लिए सारना में लगभग 125 एकड़ भूमि एवं 486.45 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया। इसके बाद से अब तक विश्वविद्यालय भवन के लिए नहीं मिल पाया। इसे छोटे से भवन में संचालित किया जा रहा है।
उद्यानिकी कॉलेज का भवन और शैक्षणिक स्टाफ को स्वीकृत करने की प्रक्रिया राज्य शासन स्तर पर विचाराधीन है। सरकार इस पर कभी निर्णय दे सकती है।
-डॉ.आरसी शर्मा, डीन उद्यानिकी कॉलेज।
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