वन्य प्राणी गणना के पहले दिन सोमवार को कर्मचारियों ने 5 किमी की ट्रेकिंग की तो उन्होंने उनके पेड़ों पर उनकी खरोंच के निशान और पगचिन्ह देखे और एकत्र किए। यह गणना लगातार एक सप्ताह तक जारी रहेगी।
पूर्व हर्रई के कुण्डाली और परतापुर क्षेत्र में बाघ की संख्या के मुकाबले तेन्दुआ अधिक है तो वहीं जुन्नारदेव में भी बाघ-तेन्दुआ का दबदबा है। वन्य प्राणी गणना के पहले दिन सोमवार को कर्मचारियों ने 5 किमी की ट्रेकिंग की तो उन्होंने उनके पेड़ों पर उनकी खरोंच के निशान और पगचिन्ह देखे और एकत्र किए। यह गणना लगातार एक सप्ताह तक जारी रहेगी।
वन्य प्राणी गणना दूसरे चरण में पूर्व वनमण्डल के पूर्व हर्रई और पश्चिम हर्रई, पूर्व बटकाखापा, पश्चिम बटकाखापा तथा जुन्नारदेव रेंज के जंगल में शुरू हुई। पहले दिन किसी कर्मचारी को बाघ-तेन्दुआ, सियार का आमना-सामना नहीं हुआ लेकिन 5 किमी पैदल चलकर उन्होंने वन्य प्राणियों की विष्ठा, खरोंच को देखा और उसे एकत्र किया।
पूर्वी हर्रई रेंज के रेंजर रघु सिंह का कहना पड़ा कि रेंज के कुण्डाली और परतापुर में तेन्दुआ की संख्या अधिक है। इस वजह से उनके खरोंच और पगचिन्ह के साक्ष्य को एकत्र किया गया। इसी तरह लगातार गणना में दूसरे साक्ष्य भी देखे जाएंगे।
परासिया अनुभाग के एसडीओ विजेन्द्र खोपरागड़े का कहना है कि जुन्नारदेव रेंज में यह वन्य प्राणी गणना होती रही। प्रथम दिन कर्मचारी साक्ष्य एकत्र करते रहे। एक सप्ताह में बाघ-तेन्दुआ की संख्या की जानकारी पाएगी।
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