Chittorgarh School Obscene Case: शिक्षा विभाग ने चित्तौड़गढ़ के एक विद्यालय में अश्लील हरकत करने वाले शिक्षक नेता और महिला शिक्षक को दुराचरण का दोषी मानते हुए बर्खास्त कर दिया है।
Chittorgarh School Obscene Case: शिक्षा विभाग ने चित्तौड़गढ़ जिले के एक विद्यालय में अश्लील हरकत करने वाले शिक्षक नेता अरविंद नाथ व्यास और महिला शिक्षक कांता पाण्डिया को दुराचरण का दोषी मानते हुए बर्खास्त कर दिया है। चित्तौड़गढ़ जिला शिक्षा अधिकारी ने यह आदेश जारी किया है।
शिक्षा विभाग के अनुसार, वायरल हुए वीडियो ने न केवल विद्यालय बल्कि पूरे विभाग की छवि को नुकसान पहुंचाया है। शिक्षा विभाग ने कहा कि इन हरकतों का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिससे शिक्षा विभाग और राजस्थान सरकार की प्रतिष्ठा को भारी नुकसान पहुंचा है।
बता दें, शिक्षक नेता अरविंद व्यास ने स्कूल में कार्यरत महिला के साथ अश्लील हरकत की थी। संस्था प्रधान कक्ष में लगे सीसी कैमरे में घटना कैद हुई। इसकी कई क्लिपिंग सोशल मीडिया पर वायरल हुई। इसमें शिक्षक नेता और महिला शिक्षक आपस में अश्लील हरकत करते हुए नजर आ रहे है।
चार दिन पूर्व वीडियो वायरल होने पर दोनों को निलंबित कर दिया था। वीडियो वायरल होने के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा गया था। शिक्षा विभाग ने जांच कमेटी का गठन किया था। शिक्षक नेता व्यास से जवाब भी मांगा था। लेकिन शिक्षक नेता ने प्रतिउत्तर में जवाब नहीं दिया। चित्तौड़गढ़ जिला शिक्षा अधिकारी ने शिक्षक नेता व महिला शिक्षक को राज्य सेवा से पदच्युत कर दिया है।
इस घटना के बाद 18 जनवरी 2025 को अरविन्द नाथ व्यास और महिला टीचर को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया था। दोनों शिक्षकों से स्पष्टीकरण भी मांगा गया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब प्रस्तुत नहीं किया। इसके बाद प्राथमिक जांच रिपोर्ट में शिक्षक व्यास को अनैतिक कृत्यों में लिप्त पाया गया, जिसके बाद यह स्पष्ट हुआ कि उनके कृत्य गंभीर दुराचार की श्रेणी में आते हैं।
शिक्षा विभाग ने इसे शिक्षक के गरिमामय पद और नैतिकता के खिलाफ पाया। रिपोर्ट में कहा गया कि शिक्षक जैसे आदर्श पद के लिए उच्च चरित्र और नैतिकता जरूरी है। अरविंद नाथ व्यास के कृत्य ने छात्रों, अभिभावकों और समाज में शिक्षक के प्रति विश्वास को ठेस पहुंचाई है। यह घटना शिक्षा विभाग और सरकार की छवि पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
गौरतलब है कि राजस्थान सिविल सेवाएं (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1958 के तहत नियम 19(ii) के तहत अरविन्द नाथ व्यास को राज्य सेवा से बर्खास्त किया गया। आदेश में कहा गया कि उनका यह कृत्य क्षम्य नहीं है और विभाग की छवि को क्षति पहुंचाने वाला है। अधिकारियों ने कहा कि इस प्रकार का आचरण न केवल अनैतिक है, बल्कि सरकारी सेवा के उच्च मानकों के खिलाफ भी है।