राजस्थान में देश का दूसरा और प्रदेश का पहला चीता सफारी केंद्र बनने जा रहा है। राज्य बजट में सफारी और चीता कॉरिडोर के लिए मध्यप्रदेश से एमओयू का प्रावधान रखा गया है।
राज्य सरकार ने हाल ही पेश किए बजट में गांधीसागर अभयारण्य, भैंसरोडगढ़ अभयारण्य और चंबल सेंचुरी को कूनो नेशनल पार्क से जोड़ते हुए चीता विचरण कॉरिडोर और सफारी के लिए मध्यप्रदेश से एमओयू करते हुए फिसिबिलिट स्टडी का प्रावधान किया है। यदि सब कुछ ठीक रहा तो रावतभाटा-गांधीसागर अभयारण्य देश का दूसरा और प्रदेश का पहला चीता सफारी केंद्र बन जाएगा। चीता सफारी बनाने की यह पहल इसलिए की गई है, ताकि वहां पर्यटन से जुड़ी गतिविधियां शुरू हो सके। जानकारी के अनुसार अफ्रीका से करीब 5 से 8 चीते लाए जाएंगे।
गांधीसागर अभयारण्य में चीतों को बसाने की कवायद तेज हो गई है। चीतों को बसाने से पूर्व केन्या से आए डेलिगेशन के 6 सदस्यों ने अभयारण्य का भ्रमण किया था। पहले दिन भ्रमण दल को अभयारण्य में चीता पुनर्स्थापना के लिए की गई तैयारियों एवं कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीता प्रोजेक्ट के एक वर्ष के संबंध में विस्तृत प्रस्तुतीकरण द्वारा दिया गया था।
श्योपुर स्थित कूनो में 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से 8 चीते लाए गए थे। इसके बाद 18 फरवरी 2023 को दक्षिण अफ्रीका से 8 चीते लाए गए। इनमें से 7 वयस्क चीतों की मौत हो चुकी है। फिलहाल 13 व्यस्क चीते कूनो में हैं। गांधी सागर में पहले चरण में दक्षिण अफ्रीका से 5- 8 चीते लाए जाएंगे। दल ने राजस्थान की आबोहवा को चीतों के लिए अनुकूल माना है।
गांधीसागर वन विभाग के एसडीओ राजेश मंडवालिया का कहना है कि बारिश के बाद सर्दी में चीतों को अफ्रीका से यहां लाया जाएगा। भोजन की व्यवस्था के लिए वर्तमान में प्रति वर्गकिमी 15 शाकाहारी वन्य प्राणी उपलब्ध है। जबकि इनके लिए प्रति वर्गकिमी 20 वन्य प्राणियों की जरूरत होगी।