चंद ने बताया कि अपने फर्स्ट-क्लास डेब्यू के सात साल बाद उन्हें दिल्ली टीम से बाहर कर दिया गया। 2019 में वह उत्तराखंड चले गए और 2021 में भारतीय क्रिकेट को अलविदा कहकर अमेरिका चले गए।
Unmukt Chand claims DDCA politics ended his career: भारत की अंडर-19 टीम के पूर्व कप्तान और एक समय के उभरते सितारे उन्मुक्त चंद की अनकही कहानी अब पर्दे पर आने वाली है। 'अनब्रोकन: द उन्मुक्त चंद स्टोरी' नामक डॉक्यूमेंट्री जल्द सिनेमा घरों में रिलीज होने वाली है। यह उनके संघर्ष, असफलताओं और क्रिकेट से लेकर अमेरिका तक के सफर की कहानी है। चंद ने अपनी डॉक्यूमेंट्री को लेकर लल्लनटॉप से बातचीत की है। इस दौरान उन्होंने बताया कि दिल्ली डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन (DDCA) में बैठे कुछ लोगों ने कैसे उनका करियर खराब कर दिया।
उन्मुक्त चंद ने लल्लनटॉप से बातचीत में कहा, "2017 तक जब तक गौतम गंभीर दिल्ली के कप्तान थे, टीम में कोई दिक़्क़त नहीं थी। वह मज़बूत कप्तान थे, खिलाड़ियों के लिए लड़ते थे और उनका साथ देते थे। लेकिन उनके रिटायर होते ही दिल्ली क्रिकेट में उथल-पुथल शुरू हो गई। नितीश राणा को ड्रॉप कर दिया गया, ध्रुव शौरी अच्छा कर रहे थे, फिर भी उन्हें बाहर कर दिया गया। सबको पता है ये क्यों हो रहा था।"
चंद ने बताया कि अपने फर्स्ट-क्लास डेब्यू के सात साल बाद उन्हें दिल्ली टीम से बाहर कर दिया गया। 2019 में वह उत्तराखंड चले गए और 2021 में भारतीय क्रिकेट को अलविदा कहकर अमेरिका चले गए। उन्होंने आगे कहा, "आप इसे राजनीति कह सकते हैं। उन्होंने मुझे टीम से बाहर फेंक दिया। इससे पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था कि इंडिया-ए के कप्तान को राज्य टीम से बाहर निकाल दिया गया हो। मैं किसी एक को दोष नहीं दे सकता, लेकिन DDCA के सेलेक्टर्स ही ऐसे फ़ैसले ले रहे थे। मुझे बुरा लगा क्योंकि मैं दिल्ली के लिए लंबे समय तक खेला और अच्छा प्रदर्शन किया, फिर भी मुझे बलि का बकरा बना दिया गया।"
अंडर-19 वर्ल्ड कप 2012 में उन्मुक्त चंद भारतीय टीम के कप्तान थे। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल में चंद ने शतक लगाकर भारत को खिताब जिताया था। हालांकि, उनकी धमाकेदार शुरुआत के बावजूद वह भारतीय राष्ट्रीय टीम तक नहीं पहुंच पाए।