Amera coal mines: पोकलेन से मिट्टी खुदाई शुरु करने पर आक्रोशित परसोड़ीकला के ग्रामीणों ने किया हंगामा, घायलों को अस्पताल में कराया गया भर्ती, थाने में दर्ज कराई गई रिपोर्ट
लखनपुर। लखनपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत अमेरा खदान विस्तार (Amera coal mines) को लेकर बुधवार को परसोड़ी कला की सीमा पर शासकीय भूमि में पोकलेन मशीन से मिट्टी खुदाई का कार्य शुरू करने को लेकर जमकर बवाल हुआ। अमेरा खदान विस्तार का विरोध कर रहे आक्रोशित ग्रामीणों ने पत्थरबाजी कर गाडिय़ों में तोडफ़ोड़ कर दी। इसके बाद पोकलेन मशीन को घेरकर चालक मुनेंद्र पटेल से मारपीट करने लगे। बीच बचाव करने ठेका कंपनी के मैनेजर राघवेंद्र पांडे पहुंचे तो उनके साथ भी ग्रामीणों ने मारपीट की। दोनों घायलों को उपचार हेतु लखनपुर अस्पताल लाया गया। यहां उपचार के बाद लखनपुर थाने में घटना को लेकर लिखित शिकायत की गई है। लखनपुर पुलिस मामले की जांच में जुटी है।
गौरतलब है कि एसईसीएल प्रबंधन द्वारा अमेरा खदान (Amera coal mines) विस्तार को लेकर मिट्टी खुदाई के लिए गुजरात के एलसीसी कंपनी ठेका का दिया गया है। ठेका कंपनी द्वारा ग्राम परसोड़ीकला की सीमा पर स्थित भूमि पर पोकलेन मशीन से मिट्टी खुदाई का कार्य बुधवार से शुरू किया गया था।
दोपहर लगभग 3 बजे बड़ी की संख्या में आक्रोशित महिला-पुरुष इक_ा होकर विरोध करने लगे। इसी बीच ग्रामीणों ने मिट्टी खुदाई का कार्य कर रहे पोकलेन मशीन को चारों तरफ से घेर लिया और चालक तथा मैनेजर के साथ मारपीट की। वहीं 3 वाहनों में तोडफ़ोड़ (Amera coal mines) भी की गई है।
इस संबंध में एसईसीएल (Amera coal mines) के महाप्रबंधक डॉ. संजय सिंह ने बताया कि शासकीय भूमि पर मिट्टी खुदाई और सडक़ बनाने का कार्य शुरू किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया है कि जिनकी जमीन गांव में नहीं हैं, वे साजिश के तहत किराए के लोगों को लाकर खदान परिसर में लाठी-डंडे से कर्मचारियों के साथ मारपीट किए हैं, जिसमें दो लोग घायल हो गए हैं। इसकी रिपोर्ट लखनपुर थाने में दर्ज कराई जा रही है।
अमेरा खदान (Amera coal mines) विस्तार को लेकर लंबे समय से ग्रामीण विरोध कर रहे हैं और अपनी जमीन बचाने 1 माह से अधिक समय से धरने पर बैठे हुए हैं। ग्रामीणों का आरोप है ग्राम सभा की बिना अनुमति के एसईसीएल प्रबंधन द्वारा गलत तरीके से खदान विस्तार किया जा रहा है।
ग्रामीणों द्वारा अमेरा खदान (Amera coal mines) विस्तार को लेकर आपत्ति दर्ज कराई गई है। इससे पूर्व भी ग्रामीणों की सहमति लिए बिना भूमि अधिग्रहण कर मिट्टी खुदाई का कार्य शुरू किया गया था विरोध के बाद काम बंद किया गया था। ग्रामीणों का साफ कहना है कि जान दे देंगे लेकिन जमीन नहीं देंगे।