जिला अस्पताल में सेवा की अनूठी मिसाल:
दमोह. दमोह जिला अस्पताल अब केवल इलाज का केंद्र नहीं, बल्कि सेवा और अपनत्व का मंदिर बनता जा रहा है। अस्पताल की एक पहल टीम की सदस्य नेहा नम्रता द्विवेदी, नसीमा बेगम और बबीता चौबे ने अपनी कार्य कुशलता और सेवा भाव से एक ऐसी लकीर खींची है, जिसकी सराहना पूरे जिले में हो रही है। इन महिला स्वास्थ्य कर्मियों ने न केवल अपनी ड्यूटी निभाई, बल्कि अपने निजी खर्च पर अस्पताल का कायाकल्प कर डाला है।
टीम ने अस्पताल को सकारात्मक ऊर्जा से भरने के लिए स्वयं के व्यय पर 350 से अधिक गमले और पौधे लगाकर एक सुंदर गार्डन तैयार किया है। इतना ही नहीं, वार्डों में मरीजों को बीमारियों के प्रति जागरूक करने और उन्हें तनावमुक्त रखने के लिए दीवारों पर आकर्षक पेंटिंग्स भी खुद के खर्च पर करवाई हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाली महिलाओं को अपनी बात कहने में झिझक न हो, इसके लिए टीम की सदस्य उनसे उनकी अपनी मातृभाषा बुंदेली में बात करती हैं। टीम का समर्पण ऐसा है कि ड्यूटी खत्म होने के बाद ये सदस्य गांव-गांव जाकर महिलाओं से संवाद करती हैं। वे महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर जैसी घातक बीमारी के लक्षणों के प्रति जागरूक कर रही हैं और उन्हें समय पर जिला अस्पताल आकर इलाज कराने हेतु प्रेरित कर रही हैं।
तकनीक के साथ कदम मिलाते हुए एक पहल टीम टैबलेट और लैपटॉप के माध्यम से मरीजों को हेल्थ एजुकेशन दे रही है। साथ हीए पुराने मरीजों से वीडियो कॉल करवाकर नए मरीजों का डर दूर किया जाता है। नम्रता, नसीमा और बबीता का कहना है कि मरीज को दवा के साथ दुआ और सम्मान की भी जरूरत होती है। हमारा प्रयास है कि अस्पताल आने वाली हर महिला को यह महसूस हो कि वह अपने परिवार के बीच है। इस निस्वार्थ सेवा ने न केवल स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाया है, बल्कि आम जनता का जिला अस्पताल के प्रति विश्वास भी बढ़ाया है।