ग्रार्बेज फ्री सिटी के १३०० नंबर नहीं मिलने से हुआ बड़ा नुकसान, ये नंबर मिलते तो टॉप २० में होता दमोह
दमोह. स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग २०२४ में दमोह नगरपालिका प्रदेश के गंदे शहरों में शुमार हो गई है। अब इस पर समीक्षा शुरू हो गई है। जिसमें सबसे बड़ी लापरवाही सीएमओ की गैरमौजूदगी में आई जीएफसी सर्वे टीम को अटेंड और सपोर्ट नहीं करना था। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग प्रभारी जितेंद्र पटेल ही नगरपालिका के प्रभारी सीएमओ थे, जिन्होंने टीम के आने तक की अनभिज्ञता जाहिर की थी। इस बड़ी लापरवाही का खामियाजा सर्वेक्षण की रैंकिंग आने के बाद सामने आया है। रैंकिंग में दमोह नगरपालिका को गार्बेज फ्री सिटी में एक भी स्टार नहीं मिला है। जबकि इसमें १३०० से लेकर १५०० अंक तक मिलते हैं। इससे दमोह को सबसे बड़ा नुकसान हुआ हैं। दमोह को मिले ७४४९ अंकों में यदि गार्बेज फ्री सिटी सर्टिफिकेशन के नंबर जुड़ते को यह अंक करीब ८८०० से ८९०० के बीच भी जा सकते थे। ऐसे में दमोह की पॉजीशन ऑल इंडिया रैंकिंग में टॉप २० के अंदर भी हो सकती थी। नगरीय प्रशासन से जुड़े अधिकारियों की माने तो स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार पद पर बैठे उपयंत्री से यह बड़ी लापरवाही हुई है, जिसकी समीक्षा होकर उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई होना चाहिए। यह नियोजित भी समझ आती है।
पत्रिका ने किया था आगाह
जीएसफी सर्टिफिकेशन टीम जब दमोह और पथरिया के सर्वेक्षण के लिए दमोह पहुंची थी, तब पत्रिका ने भी नगरपालिका के प्रभारी सीएमओ व एचओ जितेंद्र पटेल को आगाह किया था। साथ ही बताया था कि सर्वेक्षण टीम पहुंची है, जिस पर उन्होंने ऐसी किसी टीम के आने से इंकार कर दिया था। साथ ही इसे फर्जी टीम भी बताया था। इतना ही नहीं टीम को अटेंड करने के साथ-साथ उनका सपोर्ट भी नहीं किया गया था। नतीजा, सर्वेक्षण रैंकिंग सामने आने के बाद स्पष्ट हो गया है।
पथरिया के हालत सबसे ज्यादा खराब
दमोह नगरपालिका के अलावा नगर परिषदों की स्थिति भी रैंकिंग में खराब ही रही है। २० हजार से ५० हजार तक आबादी वाली कैटेगिरी में हटा नगरपालिका ने ९५१७ अंक प्राप्त कर ५८ रैंक ऑल इंडिया प्राप्त की है। जबकि पथरिया नगर परिषद ने ६८७६ अंक पाकर प्रदेश में सबसे फिसड्डी रैंकिंग प्राप्त की है। २० हजार तक आबादी वाली नगर परिषद में हिंडोरिया को ७६४९, पटेरा को ७४२७ और तेंदूखेड़ा को ७३५० अंक प्राप्त हुए हैं। ये सभी भी टॉप १०० से बाहर ही रही है।