MP News: गांवों से हो रहे पलायन पर लगाम कसने प्रशासन ने नई पहल शुरू की है। अब मजदूरी के लिए बाहर जाने से पहले ग्रामीणों को पंचायत में कारण दर्ज कराना होगा। (Migration Stop Initiative)
Migration Stop Initiative: अंचलों में रोजगार की स्थिति काफी दयनीय है। बेरोजगारी बढ़ने से गांव के गांव खाली हो रहे हैं। युवा रोजगार की तलाश में दूसरे शहरों की खाक छान रहे हैं। हालांकि, प्रशासन ने अब पलायन(workers migration) करने वालों का डाटा तैयार करने की योजना बनाई है। प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर पलायन करने वाले ग्रामीण मजदूरों की जानकारी एकत्र की जा रही है। साथ ही उनके गांव से बाहर जाने का कारण भी दर्ज कराया जा रहा है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि पलायन की वास्तविक स्थिति प्रशासन को मालूम चल सके और उससे निपटा जा सके। (mp news)
दमोह कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने बताया कि अभी उनके पास पलायन का कोई अधिकृत डाटा नहीं है। ऐसे में हम पलायन को रोक पाने में अक्षम है, लेकिन अब इस पहल से हमें गांव में हो रहे पलायन की हकीकत मालूम चल पाएगी। ऐसे गांव मिल जाएंगे जहां पलायन सबसे ज्यादा है। वहां पर पलायन को कैसे रोका जा सकता है। उस पर रणनीति बनाई जाएगी। शासन की आत्मनिर्भर भारत योजना का अधिक से अधिक उपयोग ऐसे गांवों में कर सकेंगे।
जिले के हटा ब्लॉक अंतर्गत आने वाले स्नेह गांव में गुजरात से एक बस आती है। यह बस सप्ताह में दो दिन आती है, जिसमें सिर्फ मजदूर सफर करते हैं। बकायदा बस से वह गुजरात जाते हैं। वहां मजदूरी करते हैं। फिर वापस बस मजदूरों को गांव वापस छोड़ देती हैं। हालांकि इस बस में मजदूरों को अच्छा खासा किराया देना होता है। वहीं, जैसे-जैसे बस आगे बढ़ती है। मजदूरों की संख्या बढ़ जाती है और मजदूर भेड़ बकिरियों की तरह भरे हुए जाते हैं।
केंद्र सरकार की मनरेगा योजना कागजों तक सीमित है। फर्जी मस्टर डालकर कागजों में मजदूरों से काम कराए जाने की ढेरों शिकायतें सामने आ रही है, लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों व पंचायतकर्मियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। मजदूरों की जगह मशीनों से काम कराया जा रहा है। वहीं, मजदूरी भी कम मिल रही है। ऐसे में ग्रामीण मजूदरी के लिए विल्ली, गुजरात्, भोपाल, इंदौर जैसे शहरों का रुख कर रहे हैं।
जिले में सबसे ज्यादा पलायन हटा व जबेरा ब्लॉक में है। इन दोनों ब्लॉक में आदिवासी समाज ज्यावा है। चुनाव के समय इन्हें विशेष रूप से वापस बुलाने के लिए प्रशासन तैयारी करता है। त्योहारों के बाद इन ब्लॉकों के अंतर्गत आने वाले कई गांव खाली हो जाते हैं। घरों में ताले लग जाते हैं।
पलायन रोकने के लिए एक रणनीति पर काम शुरू किया है। हम इनका डाटा तैयार कर रहे हैं। हाटा मिलने के बाद रोजगार के सभी पहलुओं पर हम काम करेंगे।- प्रवीण फुलपगारे, जिपं सीईओ