MP News: प्रोपेगेंडा कंपनियों की अमानक दवाओं का धड़ल्ले से कारोबार, बच्चों के लिए खतरनाक सिरप और डॉक्टरों की मिलीभगत, स्वास्थ्य विभाग की जांच और सख्त कदम की मांग बढ़ी।
substandard medicines racket exposed: दमोह जिले में अमानक दवाएं बड़ी मात्रा में खपाई जा रही है। इधर, छिंदवाड़ा में कफ सिरप से बच्चो की मौतों के आंकड़े भी बढ़ रहे हैं। अब तक 19 बच्चों की मौत सामने आ चुकी है। इधर, दवाओं के प्रति लोगों में भ्रम की स्थिति बन रही है। हैरानी की बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अफसर अपनी जिम्मेदारी को सही ढंग से नहीं निभा रहे है। (mp news)
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पत्रिका ने पड़ताल में पाया कि जिले में पीजी (प्रोपेगेंडा) कंपनी से लाइसेंस लेकर 40 से अधिक कारोबारी दवाओं की सप्लाई कर रहे है। खासबात यह है कि कई ऐसे हैं, जो दूसरे के लाइसेंस पर यह कारोबार कर मुनाफा कमाने में जुटे है। यदि सही ढंग से इसकी जांच हो जाए तो एक बड़ा रैकेट सामने आ सकता है। इससे सरकार को जीएसटी का भी फायदा होगा।
जिले में प्रोपेगेंडा कंपनियों (Propaganda Companies) की दवाओं की जांच नहीं हो रही है। ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा दवा दुकानों से उन दवाओं के सैंपल लिए जा रहे हैं, जो अमानक नहीं निकलते हैं। यदि प्रोपेगेंडा कंपनियों की दवाओं की जांच की जाए तो निश्चित रूप से एक बड़ा खेल उजागर हो सकता है। (mp news)
इन दिनों सर्दी जुकाम का मौसम शुरू हो गया है। अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढ़ रही है। अंचलों में भी मरीज बढ़ रहे है। बच्चों को खासतौर पर बीमारी परेशान कर रही है। मार्केट में कई तरह के सर्दी खांसी के सिरप बिक रहे है। इसमें अधिकांश प्रोपेगेंडा कंपनियों के सिरप है। इनकी बिक्री से पूर्व जांच कराई जाना जरूरी है। (mp news)
ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों को न हो। बल्कि सब कुछ जानने के बाद भी कड़े कदम नहीं उठा रहे हैं। इधर, मुनाफे के लिए कई नामचीन डॉक्टर भी मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग यदि ईमानदारी से जांच करें तो एक बड़ा खेल उजागर हो सकता है। (mp news)
पंचकुला, हरियाणा, हिमाचल, जैसे महानगरों से सीधे दवाओं का कारोबार हो रहा है। इन दवाओं पर अच्छा खासा मुनाफा होता है। इन दवाओं को लिखने के लिए डॉक्टर को 40 से 50 फीसदी तक का कमीशन मिलता है। इसमें एंटीबायोटिक, आयरन, कैल्शियम, सर्दी-खांसी और एंजाइम की दवाएं प्रमुख रूप से होती हैं। डॉक्टर एक पर्दै पर इन दवाओं को आसानी से लिखकर गलाने का काम कर रहे हैं। लेकिन जिम्मेदार विभाग द्वारा कभी भी इस तरह की दवाओं का जांच की नहीं की जाती है। (mp news)
जिले में झोलाछापों की संख्या 300 से ज्यादा है। पिछले साल हुई कारवाई में 200 झोलाछाप चिंहित हुए थे। छापेमार कार्रवाई बड़ी मात्रा में प्रोपेंगेंडा कंपनियों की दवाएं जब्त हुई थीं, पर उसके बाद क्या कार्रवाई हुई यह बात अधिकारी नहीं बता पा रहे हैं। बता दें कि गांवों में डॉक्टरों की कमी के चलते झोलाछापों का दबदबा है। मरीजों की भारी भीड़ इलाज कराने के लिए पहुंचती है। ऐसे में इन कंपनियों की दवाओं का कारोबार करने वाले इन्हें मुनाफा देकर दवाएं लिखवा रहे हैं। (mp news)
मैंने सीएमएचओ के साथ बैठक की है। दवाओं की मॉनीटरिंग कराने को कहा है। सीधे मार्केट में सेल होने वाली दवाओं की जांच के भी निर्देश दिए हैं। प्रोपेगेंडा कंपनियों की दवाओं की जांच विशेष तौर पर करने का कहा है।- सुधीर कुमार कोचर, कलेक्टर