बारिश और बादलों ने बढ़ाई किसानों की चिंता, तेंदूखेड़ा, जबेरा क्षेत्र में सबसे ज्यादा नुकसान
दमोह. मानसून की विदाई के बाद पांच दिनों से आसमान पर मंडरा रहे बादल, बारिश और बड़ी ओस की बूंदों ने धान की फसल को प्रभावित किया है। जिले में २० प्रतिशत तक फसल इस मौसम में प्रभावित हुई है। बारिश से नुकसान के अलावा, ओस और बादलों से बड़े कीट ने किसानों को परेशान कर रखा है। इसका पूरा असर धान की पैदावार पर पडऩे वाला है। खास बात यह है कि अब तक प्रशासन की ओर से किसानों की नुकसानी का सर्वे भी नहीं शुरू किया गया है। किसानों के अनुसार एक-दो और बारिश होती है तो धान को बचा पाना भी मुश्किल हो सकता है। वहीं नुकसान का प्रतिशत भी बढऩे के आसार है। जिले के तेंदूखेड़ा और जबेरा क्षेत्र में सबसे ज्यादा धान का नुकसान बताया जा रहा है। इसके अलावा पटेरा क्षेत्र में नुकसान है। जिले में इस बार करीब ८० हजार हेक्टेयर में धान की फसल की बोवनी है, जो अच्छी बारिश के कारण बीते दिनों तक खेतों में लहलहा रही थी। यह समय कटाई का भी है।
बनवार क्षेत्र में खेतों में भरा पानी, सडऩे का खतरा
बनवार और आसपास के क्षेत्र में बारिश से खेतों में पानी भर गया, जिससे पकी हुई धान की फसलें बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। जहां किसानों ने हाथों से कटाई की, वहां खेतों में पड़ी फसलें पानी में भीगकर सडऩे लगी हैं।वहीं हार्वेस्टर से काटी गई फसलें खलिहानों और घरों की दहलानों पर पड़ी हैं, लेकिन लगातार बारिश व धूप न निकलने से धान के दाने सूख नहीं पा रहे। परिणाम स्वरूप दाने सडऩे लगे हैं और उनमें कीड़े लगने का खतरा बढ़ गया है। हिनौती, ठेंगा और पटी गांवों में हालात सबसे खराब हैं। वहां खेतों में पानी भर जाने से फसलें पूरी तरह सड़ चुकी हैं। किसान पिंटू दुबे, जाहर सिंह और खूब सिंह ने बताया कि उनके खेतों की पूरी फसल बर्बाद हो गई है।
हवाओं और मौसम का भी असर
किसानों का कहना है कि पकी हुई धान की फसल बारिश और तेज हवाओं से खेतों में गिर गई है। किसान इसे सड़ता देख असहाय हैं। कटाई भी नहीं हो पा रही है। उनका कहना है कि इससे धान के दानों की गुणवत्ता पर गंभीर असर पड़ेगा। बनवार, बम्होरी, मालाए सिमरी खुर्द और इमलिया क्षेत्र में कई किसानों ने धान की कटाई कर खेतों में सुखाने के लिए छोड़ रखा था। किसानों को डर है कि भीगी हुई धान पर दाग लग जाएंगे, जिससे खरीदी केंद्रों व मंडी में बेचने में भी कठिनाई होगी।
किसान कर रहे जतन
किसान हरसंभव प्रयास में जुटे हैं कि जो फसलें बची हैं, उन्हें किसी तरह घर पहुंचाकर सुरक्षित किया जा सके। किसानों के अनुसार उन्होंने कर्ज लेकर फसल तैयार की थी, लेकिन अब पकी फसल पर मौसम की मार पड़ रही है।
वर्शन
धान की फसल को फिलहाल अधिक नुकसान नहीं है। कुछ जगहों पर विभाग की टीम ने सर्वे कराया था, जहां मौसम की वजह से धान में कीट जरूर देखने मिल रहा है, जिसमें दवा छिड़काव की सलाह दी जा रही है। खलिहानों में फसल भी भीग गई है।
जीएल अहिरवार, उपसंचालक कृषि दमोह