दमोह

बरसात शुरू, लेकिन जलमग्न पुल-पुलियों पर सुरक्षा नदारद

जिले में मानसून दस्तक दे चुका है, लेकिन हर साल जलस्तर बढ़ने पर जलमग्न हो जाने वाले पुल-पुलियों पर अब तक कोई ठोस सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गई है।

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Jun 26, 2025

दमोह. जिले में मानसून दस्तक दे चुका है, लेकिन हर साल जलस्तर बढ़ने पर जलमग्न हो जाने वाले पुल-पुलियों पर अब तक कोई ठोस सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गई है। प्रशासन की यह लापरवाही इस बार भी जानलेवा साबित हो सकती है। जिले में दर्जनों ऐसे स्थान हैं, जहां बारिश के दौरान पुल-पुलियां डूब जाती हैं और लोग जान जोखिम में डालकर आवागमन करने को मजबूर हो जाते हैं।

हर साल दोहराया जाता है खतरा

पथरिया, बटियागढ़, हटा, मड़ियादो, तेजगढ़, तेंदूखेड़ा, पटेरा सहित जिले के कई क्षेत्रों में बारिश के दौरान नदी-नाले उफान पर आ जाते हैं। इन क्षेत्रों की पुल-पुलियां जलमग्न हो जाती हैं, जिससे ग्रामीण इलाकों का संपर्क मुख्य मार्गों से कट जाता है। इसके बावजूद अब तक न तो चेतावनी बोर्ड लगाए गए हैं, न बैरिकेडिंग की गई है और न ही सुरक्षा कर्मियों की कोई तैनाती की गई है।

पिछले साल की लापरवाही ने ली कई जानें

बीते वर्ष बारिश के मौसम में जिले में डूबने और तेज बहाव में बहने से आधा दर्जन से अधिक लोगों की मौत हुई थी। इनमें करैया राख के ध्रुव पटेल, पिपरिया के भूतप सिंह, टीकमगढ़ के सूरज लोधी, बेलखेड़ी व हटरी के युवक, भैंसा गांव के विश्वास और इशांत, खमरिया असाटी के गोविंद पटेल और जमुनिया की दो बहनें शामिल थीं। अधिकतर मौतें उन स्थानों पर हुईं, जहां समय रहते चेतावनी और सुरक्षा उपाय नहीं किए गए थे।

प्रशासन की तैयारी सिर्फ कागजों में

स्थानीय ग्रामीणों और राहगीरों का कहना है कि हर साल प्रशासन हादसे के बाद ही सक्रिय होता है। संभावित बाढ़ और डूब क्षेत्र की पहचान होने के बावजूद समय रहते चेतावनी बोर्ड, अवरोधक और सुरक्षाकर्मी तैनात नहीं किए जाते। इस बार भी आपदा प्रबंधन की तैयारियां महज खानापूर्ति तक सिमटी नजर आ रही हैं।

Published on:
26 Jun 2025 10:53 am
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