दंतेवाड़ा

Bastar Pandum 2025: कुमार विश्वास ने सुनाया बस्तर के राम की कथा, कहा- अयोध्या के राजकुमार संघर्षशील रहकर बने मर्यादा पुरुषोत्तम

Bastar Pandum 2025: संभाग स्तरीय बस्तर पंडुम महोत्सव के तीसरे दिन आयोजित राम कथा में व्याख्यान देने डॉ कुमार विश्वास यहां पहुंचे हैं। कुमार विश्वास ने कहा कि बस्तर आना मेरा सौभाग्य है। भगवान राम के कदम इस क्षेत्र में पड़े थे, इसीलिए यहां नंगे पांव चलने पर भी कांटे नहीं चुभते।

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Bastar Pandum 2025: दंडकारण्य यानी बस्तर के कण-कण में राम विराजे हैं। देश ने आज कहा है कि राम आएंगे लेकिन बस्तर के लोग सदियों से इंजरम कह रहे। इसका मतलब राम आए हैं। बस्तर के लोग सौभाग्यशाली हैं क्योंकि यहां के कण-कण में राम हैं। यहां के लोगों का सीधा नाता राम से है। अयोध्या में राम राजकुमार थे, बस्तर में संघर्षशील रहकर मर्यादा पुरुषोत्तम बने।

Bastar Pandum 2025: बस्तर आना मेरा सौभाग्य: कुमार विश्वास

आजकल नेता पदयात्रा करते हैं, जिसका पद छिनता है, वह पदयात्रा करता है। लेकिन रामचन्द्र जी पद देने पदयात्रा करते हैं। यह बातें कुमार विश्वास ने गुरुवार रात दंतेवाड़ा में बस्तर के राम कथा के वाचन के दौरान कही। उन्होंने कहा कि भगवान राम ने देश में दो ही शिवलिंग स्थापित किए थे। एक रामेश्वरम में है तो दूसरा सुकमा के रामाराम में। कुमार विश्वास ने कहा कि बस्तर आना मेरा सौभाग्य है। भगवान राम के कदम इस क्षेत्र में पड़े थे, इसीलिए यहां नंगे पांव चलने पर भी कांटे नहीं चुभते।

दंतेवाड़ा जिले के ढोलकल में विराजे गणेश जी की कथा भी अद्भुत है। गीदम नाम गिद्धराज जटायु के आधार पर हुआ। पुराने समय मे यहां गिद्ध बड़ी संख्या में पाए जाते थे। कथा के दौरान खराब हुए मौसम पर कुमार विश्वास ने कहा- बारिश नहीं, विधाता ने जल छिडक़कर आशीर्वाद दिया है।

संभाग स्तरीय बस्तर पंडुम महोत्सव के तीसरे दिन आयोजित राम कथा में व्याख्यान देने डॉ कुमार विश्वास यहां पहुंचे हैं। अंधड़ और बारिश के बीच कथा थोड़ी विलंब से शुरू हुई। राज्य के गृहमंत्री विजय शर्मा, वन मंत्री केदार कश्यप, पूर्व वन मंत्री महेश गागड़ा, विधायक चैतराम अटामी, जिपं अध्यक्ष नंदलाल मुड़ामी भी इस कथा का श्रवण करने पहुंचे।

कुमार विश्वास ने कहा कि वाम पथ पर जाते लोग राम पथ पर लौट आएं, यही कामना मां दंतेश्वरी से करता हूं। उन्होंने कहा कि सीता की रसोई छत्तीसगढ़ के मैनपाट में है। विश्व में भोजन की कमी हो सकती है, पर बस्तर में नहीं। यहां माता जगदंबा ने रसोई बनाई थी। राम को देखने के लिए दृष्टि होनी चाहिए। इसी दंडकारण्य में दो महिलाओं ने राम को देखा।

जिस एक ने राम में काम देखा, वह सूर्पनखा आज भी अपमानित है। दूसरी ने भाव की घनीभूत भावना से देखा, जिसे राम ने माता कौशल्या के बाद अपनी मां के रूप में देखा, वह इसी बस्तर से शबरी मां थी। आयुर्वेद में जिस बेर को अपथ्य माना गया है। उसी से राम तृप्त हुए। उन्होंने कहा कि बस्तर के किसी जंगल से भी गुजरो, तो किसी भी बेर के पेड़ को देखकर वट वृक्ष की तरह नमन करो, इसी ने राम को तृप्त किया।

राम को निष्कासित राजनीति ने किया

Bastar Pandum 2025: दंडकारण्य में फैले अत्याचार और आसुरी प्रवृत्ति को समाप्त करने राम यहां से भ्रमण करते गुजरे थे। राक्षसों के हाथों मारे गए मुनियों की अस्थि के ढेर देखे। दंडकारण्य के रकसा हाड़ा के जंगल मे पत्थरों को जलाने पर ऐसी ही गंध आती है। बाहर के लोग पिछली खबरों के जरिए बस्तर के बारे में जो भी सोचते रहे हों, पर आने वाले कल में बस्तर की माटी, मां दंतेश्वरी को प्रणाम करने पूरा विश्व आतुर होगा। राम लोक नेता हैं। राम को निष्कासित राजनीति ने किया। लेकिन रामजी को स्थापित लोकनीति ने किया।

बजट सत्ता पक्ष के लिए बढिय़ा और विपक्ष के लिए घटिया होता है। हमें कैकई माता का भी आभारी होना चाहिए कि उनके कारण भगवान राम के चरण इस दंडकारण्य में पड़े। कई बार शाप वरदान बन जाता है। राम पर बोलना रोजगार नहीं, संस्कार है। रामजी ने दंडकारण्य बस्तर आकर एक काम और किया। वन्य और नगरीय सभ्यता का भेद खत्म कर दिया। बस्तर आकर उन्होंने भील, कोल, किरात को गले लगाया।

Published on:
04 Apr 2025 10:59 am
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