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Dausa News: मृत व्यक्ति को जिंदा बताकर 12 बीघा जमीन की कराई फर्जी रजिस्ट्री, तहसीलदार ने दर्ज कराया केस

तहसीलदार अमितेश मीना ने बताया कि रजिस्ट्री के बाद में उन्हे शक हुआ तो जांच में बता चला की गोरधन पुत्र रामकुंवार की पूर्व में ही मृत्यु हो चुकी है।

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Sep 01, 2024

लालसोट। एक मृत व्यक्ति को जिंदा बताकर निर्झरना तहसीलदार कार्यालय में कुछ जनों द्वारा करीब 12 बीघ भूमि की रजिस्ट्री कराने का मामला सामने आया है। जब तहसील प्रशासन के बाद यह जानकारी पहुंची कि जो व्यक्ति स्वयं को गोरधन पुत्र रामकुंवार बताकर उक्त भूमि की किसी अन्य के नाम (विक्रय पत्र पंजीयन) रजिस्ट्री कराकर गया है, उसकी तो कई साल पूर्व ही मौत हो चुकी है। इसकेे बाद हड़कंप मच गया। इसको लेकर निर्झरना तहसीलदार ने झांपदा थाने में चार जनों के खिलाफ झांपदा थाने में धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है।

प्राथमिकी में तहसीलदार अमितेश कुमार मीना ने बताया कि उनके पास निर्झरना तहसीलदार का अतिरिक्त चार्ज है। 27 अगस्त 24 को कृषि भूमि आराजी खसरा नम्बर 522 क्षेत्रफल 3.0348 हैक्टेयर किस्म बारानी-3 ग्राम निर्झरना तहसील निर्झरना के खातेदार गोरधन पुत्र रामकुंवार जाति ब्राह्मण निवासी निर्झरना तहसील निर्झरना हाल वासी अनंतपुरा जयपुर तहसील कार्यालय में आकर उपरोक्त भूमि का विक्रय पत्र तैयार कर पेश किया।

तहसील कार्यालय में पंजीयन लिपिक द्वारा इन के मूल दस्तावेज से आईडी तस्दीक की गई एवं लेन-देन से संबंधित बयान लिए गए। इसमें इनकी सहमति बतायी गई। उक्त भूमि का बेचान विक्रेता गोरधन पुत्र रामकुंवार द्वारा क्रेता राजकुमार सिंह कुशवाह पुत्र रामस्नेही सिंह कुशवाह निवासी बंशीवाल मोरार ऑयल मील के सामने ग्रिड, ग्वालियर मध्यप्रदेश के पक्ष में किया गया। गवाह के रूम में ब्रजमोहन महावर निवासी बिलौणां कला तहसील लालसोट एवं रामखिलाड़ी पुत्र रामसहाय जाति मीना निवासी बगड़ी उपस्थित हुए।

उक्त विक्रय पत्र का पंजीयन क्रेता-विक्रेता एवं दो गवाहों की उपस्थिति में तहसील कार्यालय में किया गया। तहसीलदार ने प्राथमिकी में बताया है कि विक्रय पत्र होने के पश्चात उसी दिन उनकी जानकारी में आया कि उक्त विक्रेता गोरधन पुत्र रामकुंवार की पूर्व में ही मृत्यु हो चुकी है और गोरधन के स्थान पर अन्य किसी व्यक्ति द्वारा गोरधन पुत्र रामकुंवार के पहचान दस्तावेज लगाकर विक्रय पत्र निष्पादित करवा लिया।

जांच में पता चला

तहसीलदार अमितेश मीना ने बताया कि रजिस्ट्री के बाद में उन्हे शक हुआ तो जांच में बता चला की गोरधन पुत्र रामकुंवार की पूर्व में ही मृत्यु हो चुकी है। तहसीलदार ने बताया कि रजिस्ट्री व दस्तावेज की जांच के दौरान उन्हें पता चला की सेटलमेंट के समय संवत 2003 से 2022 वाली जमाबंदी में नाम रिकॉर्ड में दर्ज है।

तहसीलदार ने बताया कि जो व्यक्ति गोरधन पुत्र रामकुंवार बनकर रजिस्ट्री कराने आया था, उसके आधार कार्ड से नाम का मिलान किया तो उसमे भी यही नाम दर्ज था, जब जांच की तो पता चला कि यह व्यक्ति तो जयपुर जिले की चौमूं तहसील का निवासी है और गोरधन के पिता का नाम रामकुंवार नही हो कर गोरधन पुत्र रघुनाथ है।

एक ही जने के दो मृत्यु प्रमाण पत्र, बड़ा सवाल असली कौनसा?


तहसीलदार ने बताया कि रजिस्ट्री के बाद उन्हें गोरधन के नाम से दो मृत्यु प्रमाण पत्र मिले हैं, एक मृत्यु प्रमाण पत्र जयपुर नगर निगम द्वारा बनाया गया है, जिसमे 5 मार्च 1992 को मुत्यु होना बताया गया है, जबकि दूसरा मृत्यु प्रमाण पत्र महाराष्ट्र के नागपुर जिले के माथनी गांव का बना हुआ है, जिसमे 17 मई 1995 को मृत्यु होना बताया गया है।

अनुसंधान के बाद होगी न्यायोचित कार्रवाई


झापंदा तहसीलदार मदनलाल ने बताया कि प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। के बाद न्यायोचित कार्रवाई होगी।

Published on:
01 Sept 2024 12:14 pm
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