Morel River: इंसान चाहे तो उसके आगे कोई ऐसा काम नहीं है, जो वह कर नहीं सकता हो। कुछ ऐसा ही नजारा राजस्थान के दौसा जिले में देखने को मिला।
Dehalwas Anicut: दौसा। इंसान चाहे तो उसके आगे कोई ऐसा काम नहीं है, जो वह कर नहीं सकता हो। ऐसा ही उपखण्ड के ग्राम पंचायत मलवास के गांव देहलावास के समीप मोरेल नदी पर ग्रामीणों द्वारा बनाया गया कच्चे एनिकट को युवाओं ने 14 दिन बाद तीन दिन में मेहनत कर फिर दोबारा बनाकर तैयार कर दिया। इससे अब टूटा एनिकट बनकर तैयार होने के बाद पानी से लबालब भर गया। इससे दौसा जिले के दर्जनों गांवों का जलस्तर बढ़ेगा तो जल समस्या से निजात मिलेगी।
जानकारी के अनुसार मोरेल नदी के बहाव क्षेत्र में ग्रामीणों ने जनसहायोग से कच्चा एनीकट बनाया गया था। एनिकट में पानी की आवक अधिक होने से 8 सितरम्बर 2024 की रात्रि को टूट गया था। इससे ग्रामीणों ने जी-जान लगाकर की गई मेहनत पर पानी फिर गया था। एनिकट टूटने पर युवाओं ने हार नहीं मानी।
युवाओं ने फिर से एनिकट को तैयार करने का बीड़ा उठाकर जनसहयोग से तीन दिन तक लगाकर दिन-रात मेहनत कर ट्रैक्टर टाॅली, जेसीबी आदि की सहायता से फिर दोबारा एनिकट की पाल तैयार कर दी। इससे एनिकट अब लबालब भर गया। इससे आसपास के दर्जनों गांवों का जलस्तर बढ़ने से लोगों को फायदा मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि गांव देहलावास, टोडरवास व सींगपुरा के ग्रामीणाें ने बारिश शुरू होने से पहले गिरते भूजल से परेशान होकर माेरेल नदी में बहने वाले पानी को रोकने के लिए तीनाें गांवों के लोगों ने 8 लाख रुपए चंदा एकत्रित कर बहाव क्षेत्र में खुद के स्तर पर एनिकट बनाने की ठानी। इसके लिए 45 ट्रैक्टर, 7 जेसीबी चलाकर महज सात दिनाें में 450 से ज्यादा लोगों ने श्रमदान कर तीन एनिकट बना दिए थे।
एनिकट को दोबारा तैयार करने में तीन दिन लगे। कार्य में देहलावास, टोडरवास, खानवास सहित अन्य आसपास के गांवों के करीब दो सौ युवाओं सहित ग्रामीणों ने दिन रात मेहनत की। दोबारा एनिकट बनाने में करीब चार लाख का खर्चा आया। इसमें करीब 25 ट्रैक्टर, दो जेसीबी, दो लोडर से एनिकट निर्माण का कार्य किया गया। एनिकट की करीब 15 फीट ऊंचाई व 40 फीट चौडाई की गई। एनिकट में ओवरफ्लो पानी निकासी के लिए पाइप लगाए गए।
एनिकट लबालब होने से ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। एनिकट के भरने से करीब 15 गांव देहलावास, टोडरवास, डूगरवाता, पिलारामा, खानवास, माडेडा, जैलमपुरा, किशनपुरा टापरिया, मलवास, सहसपुर, सुनारपुरा, खण्डेवल आदि गांवों को फायदा मिलेगा।