दौसा

साल के पहले ही दिन जिस बाघ ने राजस्थान में मचाया था आतंक, आखिरकार उसे मिल गई ‘आजादी’

सरिस्का बाघ परियोजना के उप वन संरक्षक का कहना है कि बाघ पर जीपीएस युक्त रेडियो कॉलर लगाया गया है। ऐसे में उसकी 24 घंटे मॉनिटरिंग की जाएगी।

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Jan 30, 2025
पत्रिका फोटो

राजस्थान के दौसा में आंतक मचाने वाले बाघ को आखिरकार 26 दिन बाद एनक्लोजर से रिलीज कर दिया है। यह बाघ-2402 करीब 29 दिन पहले सरिस्का से निकलकर बांदीकुई पहुंचा था। इसके बाद बाघ को ट्रेंकुलाइज किया गया और एनक्लोजर में छोड़ा गया था। बाघ का व्यवहार सामान्य होने पर उसे रिलीज कर दिया है।

24 घंटे मॉनिटरिंग होगी

सरिस्का बाघ परियोजना के उप वन संरक्षक का कहना है कि बाघ पर जीपीएस युक्त रेडियो कॉलर लगाया गया है। ऐसे में उसकी 24 घंटे मॉनिटरिंग की जाएगी। इसके लिए दो स्पेशल टीमों का गठन किया गया है। आपको बता दें कि बाघ 1 जनवरी को अलवर जिले सरिस्का टाइगर रिजर्व से बाहर निकलकर दौसा के बांदीकुई पहुंच गया था। यहां उसने महुखुर्द गांव के कोली मोहल्ले के पास महिला उगा महावर, विनोद मीणा और बाबूलाल मीणा पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया था। इसके बाद वन विभाग और सरिस्का से टीम पहुंची थी।

दहशत का माहौल था

अलवर और दौसा सीमा क्षेत्र के एक दर्जन गांवों में टाइगर के मूवमेंट से दहशत का माहौल हो गया था। पहली बार सरिस्का क्षेत्र से बाहर आए 22 माह के टाइगर ने बुधवार को वन विभाग की टीम की खूब भाग दौड़ कराई थी। उसने वन विभाग की गाड़ी पर भी हमला किया था। आखिरकार तीन दिन बाद वन विभाग की टीम ने बाघ को ट्रेंकुलाइज कर लिया था। टाइगर का वजन करीब 200 किलो था, ऐसे में उसे गाड़ी में डालने के लिए 10 लोगों को मेहनत करनी पड़ी थी।

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दिसंबर में आया था पैंथर

बाघ एसटी 2402 सरिस्का से निकलकर राजगढ़ के रास्ते महुंखुर्द गांव पहुंचा था। लोग सरिस्का से यहां बाघ एसटी 2402 के पहुंचने को लेकर अचंभित भी थे, क्योंकि यहां कि दूरी करीब 70 से 75 किलोमीटर है। यहां बाघ का मूवमेंट पहली बार हुआ था। इससे पहले भी दिसंबर महीने में एक पैंथर सरिस्का से अलवर शहर की घनी आबादी में आ गया था। जिसे पकड़ने के लिए मेमना, मुर्गा और कुत्ता पिंजरे में बांधा गया था। लेकिन, एक म​हीने तक पैंथर ने खूब छकाया था।

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