Uttarakhand News:जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने हरिद्वार में होने वाले अर्धकुंभ को लेकर भक्तों से खास अपील की है। उन्होंने साफ किया कि वह कुंभ या अर्धकुंभ के पचड़े में नहीं पड़ना चाहते हैं। कहा कि दोनों में ही कुंभ शब्द जुड़ा हुआ है। लिहाजा सभी भक्तों को कुंभ मेले का लाभ उठाना चाहिए।
Uttarakhand News:हरिद्वार में 2027 में अर्धकुंभ मेले का आयोजन होना है। अर्धकुंभ मेले के आयोजन की तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रही हैं। इसी बीच हरिद्वार अर्धकुंभ को लेकर स्वामी अविुक्तेश्वरानंद महाराज का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि कुंभ का आयोजन विक्रम संवत कैलेंडर के अनुसार होता है। बताया कि ग्रेगरी के कैलेंडर में कभी कुंभ के बारे में नहीं लिखा होता। साल 2027 में हरिद्वार में कुंभ होगा और सब बढ़चढ़ कर उसमें हिस्सा लेंगे। कहा कि कुंभ या अर्धकुंभ दोनों में कुंभ शब्द जुड़ा हुआ है। इसका अर्थ पुण्य का घड़ा होता है। पुण्य के घड़े से एक छींटा भी हम पर पड़ जाए तो हमारा जीवन धन्य हो जाएगा। लिहाजा उन्होंने सभी भक्तों से अर्धकुंभ में बढ़चढ़ कर भागीदारी करने का आह्वान भी किया।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती उत्तराखंड में शीतकालीन चारधाम यात्रा पर हैं। राज्य के धार्मिक स्थलों की शीतकालीन यात्रा के लिए उन्होंने गुरुवार को नमामि घाट पर गंगा पूजन किया। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद आज हरिद्वार से रवाना हो गए हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि जैसे ग्रीष्मकालीन यात्रा होती है, उसी प्रकार भगवान के दर्शन शीतकाल में भी किए जा सकते हैं। कहा कि सरकार भी इस यात्रा का महत्व समझ रही है। उनकी शीतकालीन यात्रा से जनता में संदेश जाएगा और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं को सर्दी- गर्मी की परवाह किए बगैर ही भगवान के दर्शन करने चाहिए।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि कुंभ और अर्धकुंभ को लेकर कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं. कोई कुंभ, अर्धकुंभ तो कोई महाकुंभ कहा रहा है। कहा कि उन्हें इससे उनका कोई लेना देना नहीं है। सभी शब्दों में कुंभ शब्द तो जुड़ा है. कुंभ में अमृत (पुण्य) का घड़ा होता है। उस पुण्य की एक बूंद भी अगर मिल जाए तो, जीवन धन्य हो जाता है। कहा कि हरिद्वार का कुंभ बहुत भव्य और दिव्य होता है। यहां अविरल गंगा की धारा का अलग ही रूप देखने को मिलता है।