MP News: देवास-खंडवा की सीमा पर स्थित जयंती माता मंदिर महिषासुर वध के बाद माता के विश्राम स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। नवरात्र में यहां भक्त और पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं।
Shardiya Navratri: देवास-खंडवा जिले की सीमा पर खारी नदी के किनारे घने जंगल में स्थित जयंती माता मंदिर (Jayanti Mata Temple) नवरात्रि पर्व पर श्रद्धा और आस्था का प्रमुख केंद्र बना रहता है। प्रतिदिन बड़ी संख्या में भक्त यहां दर्शन और आरती के लिए पहुंचते हैं। वर्षभर भी यहां श्रद्धालु और पर्यटक आते रहते हैं। मान्यता है कि माता सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। मंदिर के पास ही भैरव गुफा है जहां सालभर झरना बहता रहता है।
माता के दर्शन के बाद श्रद्धालु यहां भैरव बाबा के दर्शन के लिए अवश्य आते हैं। जयंती माता मंदिर का प्राकृतिक सौंदर्य मन मोह लेता है। आसपास कनेर का वन है और जब पेड़ों पर फूल आते हैं तो जंगल की सुंदरता और बढ़ जाती है। यहां ऊपरी हिस्से में कनेरी और देवास जिले की सीमा पर खारी नदी बहती है। जयंती माता मंदिर के पुजारी प्रदीप शर्मा ने बताया कि माता यहां स्वयं प्रकट हुई। (MP News)
प्राचीन मान्यता है कि महिषासुर (Mahishasur) के वध के बाद माता ने यहां विश्राम किया था। माता ने महिषासुर पर जय प्राप्त की थी इसीलिए इस स्थान को जयंती माता से जाना जाता है। उसी समय देवताओं ने पुष्पवर्षा की थी जिससे यहां कनेर का जंगल विकसित हुआ। यहां भैरव बाबा को मिले वरदान के कारण माता के दर्शन बिना भैरव दर्शन अधूरे माने जाते हैं। पुजारी शर्मा के अनुसार ज्यादातर निसंतान दंपति मन्नत लेते हैं और मन्नत पूरी होने पर बच्चों का तुला दान करते हैं। साथ ही एक पालना माता को चढ़ाते हैं। नवरात्र में यहां भंडारे का आयोजन समिति द्वारा भक्तों के सहयोग से किया जाता है। नर्मदा परिक्रमा पथ पर होने से मंदिर समिति पूरे साल परिक्रमावासियों और श्रद्धालुओं के ठहरने व भोजन की व्यवस्था भी करती है। (MP News)
पुजारी शर्मा के अनुसार कई पीढ़ियों से माता के पूजन को श्रद्धालु यहां आते हैं। माता पाषाण प्रतिमा के रूप में प्रकट हुई थी। करीब 25 वर्ष पूर्व तक दुर्गम रास्तों के बाद भी श्रद्धालु यहां आते थे। 25 वर्ष पूर्व बने मंदिर के बाद से पूरे भारत से श्रद्धालु जयंती माता के दर्शन करने आ रहे हैं। इंदौर और देवास से पीपरी, रतनपुर, बावड़ीखेड़ा होकर जयंती माता मंदिर पहुंचा जा सकता है। बरसात के समय खारी नदी पर पुल न होने के कारण यह का रास्ता बंद हो जाता है। ऐसे में श्रद्धालु सतवास-पामाखेड़ी मार्ग से होकर मंदिर पहुंचते हैं। (Shardiya Navratri)
हालांकि इससे दूरी बढ़ जाती है। बारिश के बाद वन विभाग द्वारा खारी नदी पर लकड़ी का अस्थायी पुल बना दिया जाता है। इससे पैदल यात्रियों और परिक्रमावासियों को नदी पार करने में सुविधा होती है। ग्राम पीपरी के गिरधर गुप्ता ने बताया कि करीब 2 वर्ष पहले पूर्व विधायक पहाड़ सिंह कन्नौजे ने खारी नदी पर पुल बनाने की घोषणा की थी लेकिन अब तक यह निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ। उनका कहना है कि पुल जल्द से जल्द बनना चाहिए। (MP News)