सौतेली बेटी ने अपने सौतेले पिता पर दुष्कर्म का आरोप लगाकर जेल पहुंचा था। युवक बीते 2021 से जेल में बंद था। अब सगी बेटी ने मजदूरी करके अपने पिता का केस लड़ा और आखिरकार उसे निर्दोष सिद्ध कराकर जेल से छुड़ा लाई।
अकसर फैमिली ड्रामा ( Family Drama ) फिल्मों में आपने सेटिमेंट्स, ड्रामा और मनोरंजन का समावेश देखा होगा। लेकिन, हम जिस खबर के बारे में आपको आज बता रहे हैं वो किसी फिल्मी कहानी ( Filmy Story ) से कम नहीं है। इस कहानी में तीन किरदार हैं। पहली सौतेली बेटी, दूसरी सगी बेटी और एक पिता। बता दें कि, कुछ समय पहले सौतेली बेटी ने अपने पिता पर दुष्कर्म का आरोप लगाकर उसे जेल पहुंचवा दिया था। एडीजे कोर्ट ने पिता के खिलाफ पॉक्सो एक्ट और दुष्कर्म की अन्य़ धाराओं के तहत फैसला सुनाकर जेल पहुंचा दिया था। इसकी बाद एंट्री हुई सगी बेटी की, जो वैसे तो नाबालिग थी, लेकिन उसने अपने हौसले और भरोसे के दम पर कड़ी जद्दोजहद कर अपने पिता को ना सिर्फ निर्दोष साबित कराया, बल्कि उसे बरी भी कराया।
सौतेली बेटी द्वारा पिता पर लगाए संगीन आरोप के बाद सगी बेटी को भरोसा था कि उसके पिता ऐसा घिनौना काम कर ही नहीं सकता। आर्थिक रूप से बेहद कमजोर परिवार की बेटी अपने पिता को रिहा कराने के लिए दूसरों के घर झाडूं - पोछा करती, खेतों में मजदूरी करती और एक-एक रुपए इकट्ठा कर न्यायालय के फैसले को चुनौती देती। उसने पूरी शिद्दत से केस लड़ा और आखिरकार सच्चाई को जिताकर अपने पिता को बाइज्जत बरी करा लाई।
आपको बता दें कि किसी फिल्मी कहानी जैसा मालूम होने वाला ये सत्य मामला मध्य प्रदेश के देवास जिले के अंतर्गत आने वाले बागली थाना इलाके का है। फरवरी 2021 में पीड़िता ने सौतेले पिता पर दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए पुलिस में केस दर्ज कराया था। सौतेली बेटी का आरोप था कि उसका सौतेला पिता बीते 10 साल से उसके साथ दुष्कर्म कर रहा था। मामला सामने आने पर पुलिस ने पॉक्सो एक्ट के साथ साथ दुष्कर्म की अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज कर आरोपी को जेल भेज दिया था।
इस मामले में आरोपी की सगी नाबालिग बेटी ने पिता को झूठे केस से बाहर निकालने के लिए लोगों के घरों में झाड़ू-पोछा किया और मजदूरी भी की। साढ़े छह हजार रुपए इकट्ठा कर इंदौर हाईकोर्ट में जमानत की याचिका लगाई। बागली एडीजे कोर्ट में विचारण में पीड़िता, पुलिस, डॉक्टर और परिजन समेत 12 गवाहों के बयान लिए। जब मेडिकल परीक्षण हुआ तो पीड़िता ने बताया कि अक्टूबर 2020 में मुझे 24 महीने का गर्भ था, लेकिन डॉक्टरों ने जब सूक्ष्मता से जांच की तो पता चला कि 24 महीने का गर्भ सितंबर 2020 में होगा। यही से पूरी कहानी बदल गई।
बाद में नवजात शिशु और आरोपी के डीएनए की जांच करवाई गई तो उसकी रिपोर्ट भी निगेटिव आई। वहीं, पीड़िता ने जिस घर को घटनास्थल बताया था। वो 15 बाय 15 एकमात्र कमरा है। जिसमें 7 सदस्य रहते हैं। इतने छोटे से कमरे में दस साल से दुष्कर्म करने और अक्टूबर 2020 में आखिरी बार दुष्कर्म करने की घटना की जानकारी मां, अन्य चार भाई-बहन को कैसे नहीं लगी। इसका उल्लेख कोर्ट ने अपने आदेश में किया।
कोर्ट ने कहा-किसी भी संबंध में ये स्वीकार नहीं किया जा सकता कि बेटी के साथ दुष्कर्म जैसा घृणित अपराध होने पर मां भी चुप रहेगी। इधर, आरोपी की ओर से तर्क था कि पीड़िता 2018 में घर से चली गई थी, जिसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट आरोपी पिता ने ही दर्ज करवाई थी। 29 जनवरी 2021 को वापस भाग गई थी, जिसकी भी रिपोर्ट पिता ने ही दर्ज करवाई थी। इसी दौरान सौतेली बेटी ने 1 फरवरी 2021 को शादी कर ली थी। इसके बाद बागली थाने पर बयान देकर अपने पति के साथ चली गई थी। बाद में वो अपने पति और सास के साथ थाने आई और पिता के खिलाफ दुष्कर्म की केस दर्ज कराया। सौतेली बेटी की शादी से आरोपी पिता राजी नहीं था, जिससे सौतेली बेटी अपने सौतेले पिता से नाराज थी। इन सभी परिस्थितियों, मेडिकल रिपोर्ट, घटना के संबंध में पीड़िता के कथन विश्वसनीय न होने पर कोर्ट ने पिता को बरी कर दिया।